सच्ची मित्रता ह्रदय से जन्म लेती है और ह्रदय ही उसे महसूस कर सकता है,उसमे उंच-नीच,अमीर-गरीब,अपना-पराया जैसा कोई भी बंधन नहीं होता| ऐसी मित्रता समय और स्थान की सीमओं में बंधी नहीं होती| समय आने पर यह भरपूर साथ निभाती है और एक अविस्मरनीयउदहारण बनकर समस्त सांसारिक सीमाओं को लांघकर अमर हो जाती है| हर ह्रदय में ऐसी मित्रता के प्रति एक ललक रहती है,पर यह मित्रता त्याग,समर्पण,सख्य,सहयोग,सच्चाई और निह्स्वर्थाता मांगती है|
Tuesday, August 9, 2011
SACHCHA MITRA KAUN?
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sundar abhivyakti
ReplyDeleteNice thought.
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