आज भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में छिड़ी जंग में आम आदमी भी अन्ना हजारे बन गया है | दिन-प्रति दिन यह आन्दोलन उग्र होता जा रहा है | इसआन्दोलन को नियंत्रित करने में सभी सरकारी कवायदे
विफल हो रही है | और अब तो सरकार भी घुटने टेकने को मजबूर हो गयी है | भारतीय लोकतंत्र में यह
पहली बार हुआ है की स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ मनाने के २४ घंटे के भीतर एक निरपराध व्यक्ति को जेल भेज दिया गया और फिर शुरू हुआ आंदोलनों का क्रम और आलम यह रहा कि लोग अपने-अपने
घरो से निकल गए | शहर के चकाचौध चौराहों से लेकर गाँव के नुक्कड़ और सडको पर हर व्यक्ति अन्ना नज़र आ रहा है | जनता सरकार को कोसने के साथ-साथ चेतावनी देने से भी नहीं चुक रहे है और सरकार
बेबस और लाचार है यह भी भारत का दुर्भाग्य ही है| भ्रष्टाचार विरोधी इस आन्दोलन के मुखिया अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के बाद तो जुलूस,उपवास,मौनव्रत,अनशन,धरना-प्रदर्शन,नारेबाजी,पुतलादहन का क्रम इस कदर चल रहा है कि बच्चे,बड़े,बूढ़े,संसद ,फिल्म इंडस्ट्री,उद्योग,कार्यालय,सामाजिकसंस्थाए,स्कूल कालेज तक इस आन्दोलन में कूद पड़े है | मीडिया कि बात छोड़े तो छोटे-छोटे बच्चे भी जिन्हें ठीक से
भ्रष्टाचार के ककहरे भी नहीं मालूम वो भी भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगा रहे है |
अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आन्दोलन को "आज़ादी के लिए दूसरी क्रांति" का नाम दिया है तो जनता भी उन्हें दूसरे गांधी, जयप्रकाश लोहिया जैसे महापुरुषों के पुनर्जन्म रूप में देखने लगी है|
कहा जाता है कि आग लगने के लिए एक चिंगारी ही काफी होती है यहाँ तो पूरी ज्वाला भड़क उठी है और अब तो हालत ये है कि लोगो को देश में लगाए गए पूर्व के आपातकाल कि यादें आने लगी है | बहरहाल देखिये नतीजा जो भी हो लेकिन एक बात तो सच है कि अन्ना कि आंधी चल रही है और अन्ना के विचारो के प्रति जनता ने जो विश्वास दिखाया है उससे सरकार कि चूलें हिल गयीं है | एक बार फिर से गाँधी के देश में अन्ना ने सभी लोगो को एक मंच पर लाकर एक सूत्र में बांध दिया है |








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