Saturday, September 17, 2011

सीख ले...

कोई  रात  पूनम  
तो  कोई  है अमावस,
चांदनी  उसकी  जो 
चाँद  पाना सीख ले!
यूँ  तो  सभी  आये  हैं
रोते  हुए जहाँ  में,
पर सारा जहाँ है उसका
जो मुस्कराना सीख  ले!
कुछ भी नज़र न आये
अंधेरो में रह कर,
रौशनी  है उसकी
जो शमा जलना सीख ले!
हर  गली  में  मंदिर,
हर राह में मस्जिद है
पर  खुदा  है उसका
जो सर  झुकाना सीख ले!
हर  सीने  में दिल,
हर  दिल में प्यार है,
प्यार  मिलता है उसको
जो दिल लगाना सीख ले!
लोगो  का  काफिला
उसी  के साथ होता है
जो  सच्चे दिल से
रिश्ते निभाना सीख ले!
ख़ुशी  की  तलाश  में
ज़िन्दगी गुज़र जाती है
पर  खुशियाँ उन्हें मिलती  है
जो दूसरे के गम मिटाना सीख ले!






4 comments:

  1. अच्छी लगी कविता ....खास कर ये पंक्तियां ....
    "लोगो का काफिला
    उसी के साथ होता है
    जो सच्चे दिल से
    रिश्ते निभाना सीख ले!
    ख़ुशी की तलाश में
    ज़िन्दगी गुज़र जाती है
    पर खुशियाँ उन्हें मिलती है
    जो दूसरे के गम मिटाना सीख ले"

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  2. कमॆन्ट बोर्ड से वर्ड वैरिफिकेशन हटा दीजिये , लोगो को कमेन्ट करने में सुविधा रहेगी.

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  3. सादर आभार!
    ऐसे ही अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव देते रहेंगे ऐसी अपेक्षा है |

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