Friday, September 9, 2011

जब भी आता है मौत का ख्याल...

जब  भी आता है 'मौत' का ख्याल,
करते मुझसे प्यार, याद तुम आते हो,
उस वक़्त तड़प कर रह जाता  है मन,
'जिंदगी' ने कई खेल खेले,
परिस्थितियों ने कई रंग बदले,
दिल ने कहा मिट जाएँ हम,
जहाँ न रहे शिकवा, कोई गम,
रहे तो बस एक सुन्दर मन,
मै जानता हूँ तुम बसाए हो,
मुझे तन-मन  और हर 'धड़कन' में,  
चाहते हो इतना कि मै भी न चाहूं ,
सोचता  हूँ मै  न रहूँ?
तो क्या  तुम मेरे बिना रह पाओगे ?
कल्पना करो मेरे बिना  तुम जी पाओगे ? 
स्वप्न 'स्वर्णिम' वो भुला पाओगे ?
आ जाती है याद वो सारी बातें,
और छोड़ देती हैं सवाल सारे,
पर रोक देता है तुम्हारा प्यार!
जब भी आता है 'मौत का ख़याल'!


 





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