Monday, September 5, 2011

शिक्षक दिवस पर विशेष...

सम्पूर्ण सृष्टि में यदि सर्वाधिक महत्वपूर्ण कुछ है तो वह है शिक्षक | मनुष्य प्रकृति का सबसे बुद्धि मान प्राणी है और उसके विकास की प्रथम इकाई है शिक्षा| इस प्रकार यदि यह कहा जाय कि 'शिक्षा के बिना सम्पूर्ण जीवन अधूरा है तो यह कदापि गलत होगा | प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री जॉन लाक  ने  
कहा है कि 'पौधे का विकास कृषि से होता है और मनुष्य  का शिक्षा के द्वारा'| अर्थात शिक्षा ही वह प्रकाशस्रोत है जिसके द्वारा समस्त संसार आलोकित होता है | इस प्रकार शिक्षा रुपी इस दीपक को जलाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है |क्योंकि व्यक्ति कितनी ही पुस्तकों का संग्रह कर ले किन्तु यदि उसे गुरू रुपी पथ-प्रदर्शक मिले तो वह संसार रुपी इस सागर  को पार नहीं कर सकता ?
शिक्षक सामान्य व्यक्ति नहीं होता वह एक शिल्पकार होता है जो कच्चे घड़े सदृश बालक को सवां- रने का कार्य करता है क्योंकि बालक बिलकुल एक कोरे कागज़ की तरह होता है जिस पर कुछ लिखने का कोई कार्य करता है तो वह है शिक्षक |इसी शिक्षक (गुरू) ने ही राम-कृष्ण,परमहंस,विवेका नंद,दयानंद,टैगोर,गाँधी जैसे युग-निर्माताओ को  तराशा है,गुरू ही वह सांचा है जिसमे महामानवों  के साथ -साथ राष्ट्र नायको को ढाला जाता है |गुरू के चिंतन,वंदन और अभिनन्दन में सम्राटों के भी सर झुंक जाते है,यही वह महागुरु होता है जो धर्म,समाज और राष्ट्र के अनसुलझे रहस्यों का पर्दाफाश कर उन अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर देता है |
किन्तु आज मुझे यह भी लिखने में तनिक संकोच नहीं हो रहा है कि आज के इस प्रखर सूर्य को ग्रहण लगते जा रहा है |आज उसके गौरव-गरिमा पर प्रश्न-चिन्ह लगते जा रहा है| वह विभिन्न व्यसनों का शिकार होते जा रहा है| उसके चरित्र पर आशंका कि उंगलिया उठने लगी है |वह एक दूषित राजनीति का शिकार होते जा रहा है |ऐसे में शिक्षक का सम्मान  कहाँ तक सार्थक है?

आज शिक्षक है | भारतीय शिक्षा के पुरोधा डॉ.स्वामी राधाकृष्णन का जन्मदिन | आज ही के दिन सितम्बर १८८८ को आप का जन्म हुआ था |इस दिवस को शिक्षक-दिवस के रूप में पूरा राष्ट्र मना रहा है|और मैं अपने गुरूजनों का प्रति नमन,वंदन और अभिनन्दन करते  हुए यही कहूँगा कि "शिक्षक दिवस की सार्थकता तभी है जब आज के शिक्षक (गुरू) को अपनी  स्वार्थ-सिद्धी का परित्याग करके अपने नैतिक मूल्य को बढ़ाये और जनमानस भी उनके प्रति नतमस्तक होकर शिक्षक के प्रति आभार जताए तभी आज का शिक्षक श्रद्धापात्र बन पाएंगे और तभी राष्ट्र का सही मायने में निर्माण होगा |





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