Sunday, September 11, 2011

गर तेरा साथ होता...


























गर तेरा साथ होता ?
जिंदगी को मिला एक मुकाम होता !
भटके पथिक को दिशा औ सफल जीवन, 
जहाँ को  भी एक मस्त चमन,
छाई होती छंटा 'बसंती'
बहारो में आशियाँ होता !
इन अंधेरो में वो उजाला कहाँ ?
इन फिजाओं  में वो खुशबू कहाँ  ?
तेरी जुल्फों के घने कुहरे  में,
मेरा हर  घना साया होता !
दिल में उस वक़्त कोई जज्बात नहीं,
होंठों पर भी कोई थिरकन नहीं,
जब  तेरा आंचल सरकता,
दिल-ए-धडकनों में तेरा  नाम होता !
होंठो को होंठो से  लेता मै थाम,
हाथों  में तेरा हाथ,लवों ए   तेरा नाम,
चाँद भी शर्माता  तब शायद,
जब 'अर्जुन' तेरे साथ होता !
गर तेरा साथ होता...... ....!! 


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