गर तेरा साथ होता ?
जिंदगी को मिला एक मुकाम होता !
भटके पथिक को दिशा औ सफल जीवन,
जहाँ को भी एक मस्त चमन,
छाई होती छंटा 'बसंती'
बहारो में आशियाँ होता !
इन अंधेरो में वो उजाला कहाँ ?
इन फिजाओं में वो खुशबू कहाँ ?
तेरी जुल्फों के घने कुहरे में,
मेरा हर घना साया होता !
दिल में उस वक़्त कोई जज्बात नहीं,
होंठों पर भी कोई थिरकन नहीं,
जब तेरा आंचल सरकता,
दिल-ए-धडकनों में तेरा नाम होता !
होंठो को होंठो से लेता मै थाम,
हाथों में तेरा हाथ,लवों ए तेरा नाम,
चाँद भी शर्माता तब शायद,
जब 'अर्जुन' तेरे साथ होता !
गर तेरा साथ होता...... ....!!

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