Wednesday, August 31, 2011

Eid Mubarak


Happy Eid to you all....


Today is the Eid ul Fitra and it is celebrated in the all over India and the mostly arts of the whole world.It marks the end of the Ramadan and allows the Muslims to end their fast which they had started at the beginning of Ramadan. The word ‘Fitr’ means to break, which indicates that the Muslims break their fast and evil habits, thus feeling the joy of attaining a sense of spirituality after fasting.in India Eid Ul Ftr is considered as a national holiday. People gather at the Jama Masjid mosque in New Delhi to offer their prayers to God. On this special day, the Muslims try out different recipes including sweet delicacies. Most of them indulge in Eid Ul Fitr celebrations by preparing a special dish – the ‘Siwaiyaan’. This recipe is actually made of toasted sweet vermicelli noodles, dried fruits, and milk. This is the day when the Muslims send Eid Ul Fitr cards to their loved ones and convey their best wishes on this festive occasion.




Monday, August 29, 2011

ANNA ANDOLAN

अन्ना आन्दोलन... 

और जब जन-जन के 'अन्ना' ने रामलीला मैदान में १३वे  दिन अपना अनशन तोडा और
एक बार फिर 'एकता में शक्ति है' वाली कहावत चरितार्थ हुयी | भ्रष्टाचार के खिलाफ चल
रहे इस आन्दोलन  में बच्चे,बड़े और बूढ़े सभी ने जाति,धर्म,समुदाय से ऊपर  उठकर अन्ना
की लडाई लड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की | अन्ना ने इसे जन-जन की लोक जीत
कहा और लोगो को धन्यवाद् दिया !





Friday, August 26, 2011

kya karegi sarkar?

 क्या  करेगी  सरकार?

जब से ये मनमोहन सरकार बनी है तब से  आज तक मैंने सरकार की इतनी किरकिरी नहीं देखी थी| लोकपाल के मुद्दे पर सरकार की इतनी फजीहत हो गयी है की अब तो सांप-छछूदर वाली बात हो गयी है| ये  लोकपाल मुद्दा सरकार के गले में ऐसे फंस गया है जिसे वह न तो निगल पा रही है,
न ही उगल पा रही है| पूरे देश में अन्ना की आंधी इस कदर चल रही है  जो रुकने का नाम नहीं ले रही है | जनता में दिन-प्रतिदिन  इतना आक्रोश बढता  जा रहा है कि सरकार  बेबस और लाचार नज़र आ रही है| कुछ लौग प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी को निजी तौर पर एक उदार,विनम्र,ईमानदार,आदर्शवादी और प्रखर अर्थ-शास्त्री छवि वाले व्यक्ति के रूप में देखते है ,पर  मुझे तो लगता है कि इस 'अन्ना आन्दोलन ' में अब  उनकी व्यक्तिगत छवि भी प्रभावित हो रही  है| अब  ऐसे में  माननीया सोनियागाँधी उन्हें  क्या मार्गदर्शन देती है और क्या करते है बेचारे प्रधानमंत्री और क्या  करेगी उनकी सरकार ?





Saturday, August 20, 2011

'अन्ना की आंधी'

आज भ्रष्टाचार  के खिलाफ   पूरे देश में छिड़ी जंग  में आम आदमी भी अन्ना हजारे  बन गया है | दिन-प्रति दिन  यह  आन्दोलन उग्र  होता  जा  रहा है | इसआन्दोलन को नियंत्रित करने में सभी सरकारी कवायदे
विफल हो रही है | और अब तो सरकार भी घुटने टेकने को मजबूर हो गयी है | भारतीय लोकतंत्र में यह 
पहली बार हुआ है की स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ  मनाने के २४ घंटे के भीतर एक  निरपराध व्यक्ति को जेल भेज दिया गया और फिर शुरू हुआ आंदोलनों का क्रम और आलम यह रहा कि लोग अपने-अपने
घरो से निकल गए | शहर के चकाचौध चौराहों से लेकर गाँव के नुक्कड़ और सडको पर हर  व्यक्ति अन्ना   नज़र आ रहा है | जनता सरकार को कोसने के साथ-साथ चेतावनी देने से भी नहीं चुक रहे है और सरकार
बेबस और लाचार है यह  भी भारत का दुर्भाग्य ही  है| भ्रष्टाचार विरोधी इस आन्दोलन के मुखिया अन्ना  हजारे की गिरफ्तारी के बाद तो जुलूस,उपवास,मौनव्रत,अनशन,धरना-प्रदर्शन,नारेबाजी,पुतलादहन का क्रम इस कदर चल रहा है कि बच्चे,बड़े,बूढ़े,संसद ,फिल्म इंडस्ट्री,उद्योग,कार्यालय,सामाजिकसंस्थाए,स्कूल कालेज तक इस  आन्दोलन में कूद पड़े है | मीडिया कि बात छोड़े तो  छोटे-छोटे  बच्चे भी  जिन्हें ठीक से 
भ्रष्टाचार के ककहरे भी नहीं मालूम वो भी भ्रष्टाचार  विरोधी नारे लगा रहे है | 
अन्ना हजारे  ने  भ्रष्टाचार के खिलाफ इस  आन्दोलन को "आज़ादी के  लिए दूसरी क्रांति" का नाम दिया है तो  जनता  भी उन्हें दूसरे गांधी, जयप्रकाश लोहिया जैसे महापुरुषों के पुनर्जन्म  रूप में देखने लगी है| 
कहा जाता  है कि आग लगने के लिए एक चिंगारी ही काफी होती है   यहाँ तो पूरी ज्वाला भड़क उठी है और अब तो हालत ये है कि लोगो को देश में लगाए गए पूर्व के आपातकाल कि यादें आने लगी है  | बहरहाल देखिये नतीजा जो भी हो लेकिन एक बात तो सच है कि अन्ना कि आंधी चल रही है और  अन्ना के  विचारो के प्रति जनता ने जो विश्वास  दिखाया है उससे सरकार कि चूलें हिल गयीं है | एक बार फिर से गाँधी के देश में अन्ना ने सभी लोगो को एक  मंच पर लाकर एक सूत्र में बांध  दिया है |  




    

  

 
                                             




Monday, August 15, 2011

ee 'AZAADI' !

 ई 'आज़ादी' !



परनाम आ जय भोजपुरी! 
आज हमनी के 'आजादी के  सालगिरह' मनावत हईं जा |
आज के ही दिन हमनी के ई गौरवमयी आज़ादी मिळेल रहल |
ई आज़ादी के बेदी पर न जाने केतना लोग शहीद हो गईले ?
न जाने केतना मतारिन के गोंद सुन भईल त न जाने केतना सुहागनन क मांग सुन भईल?
केतना महान  आत्माए आपन पूर्णाहुति देहले तब जाके हमनी के ई आज़ादी मयस्सर  भईल ?
आज हम सबिन ओहे लोगन के ऋणी  हईं जा |
पर ओह ऐतिहासिक संघर्ष क सुखद परिनाम  रूपी ई आज़ादी आज सार्थक जा रहल बा ?
का उ आज़ादी अभी  अधूरी  बा? का हमनी के उ  कर्मवीरण क बलिदान बेकार हो गईल ?
का आज भी एह स्वतंत्र भारत में  गाँधी जी के 'रामराज' के इहे परिकल्पना रहे?
देश के आजाद होखला के ६५ साल बाद भी इहाँ चोरी,हत्या,लूट,खसोट,बेईमानी,बलात्कार, अपहरण 
जईसन बुरायीं क साम्राज्य व्याप्त हो रहल बा | चारो तरफ महगाई ,भुखमरी आ बेरोजगारी खुलेआम ई सबके बढावा दे रहल बा | आज सैकरण सरकारी योजनावन क बोलबाला बा,फिर भी हर हाथ के काम नईखे ? आज एगो मजदुर से पूछीं क़ि का हो तोहरा 'आज़ादी' बुझाला? त उ इहे कही कि 'का बताई साहेब बस हमनी के दू जून के रोटी मिल जाय इहे बहुत बा', कवनो बेरोजगार नवयुवक  से पूछीं कि का हो तोहरा आज़ादी कुछ बुझाला? त ओकरे जबाब इहे होई कि' बस एगो नौकरी मिल जाट त घर-परिवार क जिम्मेदारी पूरी हो ज़ात' | का 'आज़ादी' के सही मायने इहे बा ?
आज चारो उरी शासन-प्रशासन आ नेताजी लोग जबरी 'आज़ादी' मनवावेत हवें ! देश विकास के पथ पर आगे बाद रहल बा आ ई चुनौतियाँ क सामना कईल शायद बस में नईखे ? एगो अनपढ़  गवांर के त छोड़ी, पढ़ल-लिखल लोग भी अपराध करे में तनिको नईखे हिचकिचात ? कहे से कि सबसे
बडियार चीज़ बा रूपया यानी ज़रूरत | अब अयिसने में उ नौजवान के नागरिक कर्त्तव्य यद् रही ?
उके देश के बाहर का होता ? त छोड़ी,उ देश के भीतरे 'गृहयुद्ध' लड़ रहल बा | ओकरा आज़ादी  बुझाई ?
' मुल्क' आ 'समाज' के  सुचारू रूप से चलावे खातिर ही कवनो 'संविधान' बनेला जेकर सम्मान हर नागरिक क कर्त्तव्य होखेला,  बाकिन त जनता आ शासन के भी आपन 'निकमयी' छुपावे खातिर एक-दूसरा पर आरोप कसल छोड़े के चाही, आ आज के विद्द्वत्त  'राजनायिकन'  के भी एकर ठोस हल निकाले के चाही तबे देश के लोगन के 'आज़ादी' के सही मतलब समझ में आयी !
                               
                              जयहिंद!!जयभारत!!! 

स्वतंत्रता दिवस के इस पवन अवसर पर आप सभी नागरिको का हार्दिक वंदन,अभिनन्दन व ढेर सारी शुभकामनाये ! 

Saturday, August 13, 2011

RAKSHABANDHAN

 रक्षाबंधन !!!
 

 
एक 'पर्व' !
एक  दिन !
एक 'पवित्र' रिश्ते का  !
एक 'पावन' पर्व का !
एक 'विश्वास' का !
एक 'आस्था'  का !
जब एक साल गुजर जाता  है|
एक बार  फिर से यह 'पर्व' आता है!
जब  एक 'सुनी कलाई' फिर से सजती है|
जब आँखों में 'जज्बाती' 'नमी' होती है|
जब एक बहन एक भाई की 'कलाई' पर 'राखी' बाधती  है!
जब एक बहन अपने भाई की लम्बी आयु के लिए 'दुआ' मांगती है!
जब एक भाई अपनी बहन को  अपना 'स्नेह' की 'सौगात' देता है!
जब एक भाई अपनी बहन को उसके 'सुख','शांति' और 'सुरक्षा'   का 'वचन' देता है !
यह "रक्षाबंधन" है! हाँ यह पर्व "राखी" है ! आस्था,प्रेम  और विश्वास का अटूट "बंधन"!
सभी भाई बहनों के जीवन में इस पर्व की 'सार्थकता'  सदैव बनी रहे !!!happy रक्षाबंधन!! 

 


Thursday, August 11, 2011

सच्चे मित्र कि कैसे करे पहचान?




सच्चे मित्र कि कैसे करे पहचान?

यूँ  किसी  अच्छे मित्र को पहचानना बड़ा ही मुश्किल है क्योकि अच्छे या बुरे मित्र  की पहचान के लिए कोई पैमाने नहीं बने होते न  ही किसी यांत्रिक परिक्षण द्वारा ही ये संभव है पर थोड़े विवेक और समझदारी के साथ इनकी पहचान की जा सकती है की अमुक व्यक्ति कैसा है?
सच्ची मित्रता के मूल में निह्स्वर्थात,त्याग,समर्पण,साक्ख्य,अपनत्व तथा सहयोग छुपा होता है और इनकी गाढ़े वक्त में पहचान होती है! तुलसी बाबा ने भी लिखा है की 'धीरज धर्म मित्र औरि नारी,आफत काल परखिये चारी' अर्थात  सच्चे  मित्र कीपहचान  मुश्किल घड़ी में ही होती   है! परन्तु  यहाँ अक्सर ऐसा होता है कि हम मित्र बनाते समय ज्यादा सोच-विचार नहीं करते और जो मन को अच्चा लगे उसी को मित्र मान लेते है!ऐसी दोस्त जिंदगी में हवा के झोंके कि तरह  आती है और कुछ समय बाद  ओझल हो जाती है!
सच कहें तो  साथ रहने और मित्रता में काफी अंतर है! सच्चा मित्र वही है जो सुख-दुःख में आप का साथ दे,वह आप को उतना ही चाहे जितना अपनेआप को! वह सदैव आप के हित को स्वहित समझकर समर्पित रहे और सदैव आपके साथ कदम से कदम मिलकर चलने के लिए प्रतिबद्ध हो!

Tuesday, August 9, 2011

SACHCHA MITRA KAUN?



 सच्चा मित्र कौन ?

आज के इस युग में दिन-प्रतिदिन चारो और भ्रस्टाचार और अराजकता व्याप्त होती जा रही है,ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह जानना जरुरी हो गया है की उसका सच्चा मित्र कौन है?वैसे प्रत्येक  व्यक्ति चारो और भीड़ जुटी रहती है जो हालात बिगड़ते ही गायब हो जाती है |विपत्ति में ही सच्चे मित्र की पहचान हो पाती है  सच्ची मित्रता की दुहाई देने वाले   अनेक मित्र मिलेगे |वास्तविकता क्या है यह गहरे पानी में उतरने पर ही पता चलता है| कवि रहीम जी ने भी ठीक ही कहा है की "बिपति कसौटी जे कसे ते ही साचे मीत"| अर्थात मुसीबत में साथ निभाने वाला ही सच्चा मित्र है|
  सच्ची मित्रता ह्रदय से जन्म लेती है और ह्रदय ही उसे महसूस कर सकता है,उसमे उंच-नीच,अमीर-गरीब,अपना-पराया जैसा कोई भी बंधन नहीं होता| ऐसी मित्रता समय और स्थान की सीमओं में बंधी नहीं होती| समय आने पर यह भरपूर साथ निभाती  है और  एक अविस्मरनीयउदहारण बनकर समस्त सांसारिक सीमाओं को लांघकर अमर हो जाती है| हर ह्रदय में ऐसी मित्रता के प्रति एक ललक रहती है,पर यह मित्रता त्याग,समर्पण,सख्य,सहयोग,सच्चाई और निह्स्वर्थाता मांगती है|

Sunday, August 7, 2011

HAPPY FRIENDSHIP DAY


Happy friendship day.



"Dosti" DIL hai "Dimag" nahi,

"Dosti" soch hai Aawaz nahi,

Koi Aankho se nahi dekh sakta
"Dosti" ka jazba,

Kyunki "Dosti" "Ehsaas" है "Time Pass" Nahi.......




Ye Dosti ka Rishta tute na kabhi,
Dost Tu Mujhse Ruthe na kabhi.!
Karte hai Rab se yahi Dua,
Dur rah kar b Apna saath chhute na kabhi..!!

      

Thursday, August 4, 2011

kyo,kya kahenge???

           


       क्यों,क्या कहेंगे???

हर प्रश्न एक सटीक उत्तर ढूढ़ते है! क्या इन्हें मंजिल मिलेगी?
लोग कहते है दुनिया 'रंग-बिरंगी'  है,
 कुछ रंग बड़े 'चटक' है तो कुछ 'धुधले' है!
ज्यादातर चमकीले रंग पसंद किये जाते है!
क्या धुधले रंगों का 'अस्तित्व' है?
क्या इस रंगीन दुनिया में 'रम' जाना सही है या गलत?
पूर्व के अच्छे  कर्मो के आधार पर मानव जन्म होता है ऐसी मान्यता है!
'आनंद' को 'कष्ट' की अपेक्षा ज्यादा लोग 'भोगना' पसंद करते है और इसी आनंद की खोज में प्राणी एक स्थान से दुसरे स्थान तक भटकता रहता है' वह प्रायः वहीँ रुकता है जहाँ उसे आनंद की संभावना दिखाई देती है, उसे कहीं 'क्षणिक' आनंद प्राप्त होता है तो कहीं 'प्रगाढ़'!
क्या उसे 'आनंद' लेना चाहिए? यदि उसके समक्ष 'नैतिकता' और 'सामाजिक बाधाएँ' आयें तो ?
ऐसे में यदि वह 'आनंद' अनुचित लगे तो? यदि यह अनुचित है तो क्यों?
चांदनी रातें सभी को 'मुग्ध' कर देती है! सभी इसकी 'शीतलता'  को 'आत्मसात' करना चाहते है और इस दिल की गहराईयों तक महसूस करना चाहते है तो क्या ये गलत है? फिर 'अँधेरे' के प्रति क्या संवेदना होनी चाहिए? एक क्षण के लिए मान ले की 'चाँद' अपनी 'चांदनी' न बिखेरे तो? तो क्या मन शांत रहेगा? क्या उसे छुप जाना चाहिए? क्या उसे अपनी 'शीतलता' प्रदान  करनी  चाहिए?
'फूल' और 'कली' में कुछ तो अंतर है ही? कुछ लोग फूलो को पसंद करते है तो कुछ लोग कलियों को, किन्तु 'भौरे' को इसमें भेद दिखाई नहीं देता,उनकी प्रकृति ही है सभी पर मंडराना! वैसे ये तो सच  ही है की  'कली' नयी होती है और 'फूल' पुराने, फिर भी 'भौरा' उसमे फर्क नहीं करता!
क्या  'भ्रमर' को 'कुमुदिनी' पर ही मंडराना चाहिए 'कमल' पर नहीं?
यदि वह सभी फूलो की सुगंधी लेता है तो यह उसका 'गुनाह' है? वह 'फूल' और 'कली' सभी की 'सुगन्धि' नहीं ले सकता?   क्या उसे प्रतिबंधित होना चाहिए? यदि हाँ तो क्यों? क्या 'कली' और 'फूल' में सामंजस्य रहेगा? क्या 'भौरे' की 'भावना' वो भी समझती है?यदि हाँ तो फिर ये सामाजिक भेद क्यों?
             "टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,तनहा-तनहा रात मिली!
              जिसका जितना 'आँचल' होगा उतनी ही "सौगात" मिली!!                   -अर्जुन राय 

Monday, August 1, 2011

woqt nayikhe !!!


                              वक़्त नयिखे !!!


हर खुशी बा लोगन के दामन मे पर ईगो हँसी खातिर वक़्त नयिखे !
दिन रात दौड़ रहल दुनिया मे जिंदगी खातिर वक़्त नयिखे !
मा के लोरी के अहसास बटे बकिन मा के मा कहे खातिर वक़्त नयिखे !
 कुल रिश्ता के ता मार भइलीन अब ओकरा दफ़नावे खातिर वक़्त नयिखे !
और लोगान के बात का करिहे' अर्जुन' जब अपनो खातिर वक़्त नयिखे !
अखियाँ मे नींद ता बहुते बा पर सुतला खातिर वक़्त नयिखे !
दिल बा गम से भरपूर भरल पर रोवे खातिर भी वक्त नयिखे !
सबका नाम पता भी बा हमरा पास मे पर उह सन्घतियअन खातिर भी वक़्त नयिखे !
पैसा के दौर मे अयिसन दौड़ रहल हउएलोग की अब थकला खातिर भी वक़्त नयिखे !
उः एहसानन भी कदर का करी जेकरा अपने  ख्वाहिशो खातिर भी वक़्त नयिखे !