Sunday, October 30, 2011

और बात है...

हमारी हर अदा मे
छुपी तेरी मुहब्बत,
तूने महसूस ना किया

ये और बात है!
मैने हरदम तेरे ही

ख्वाब पलको पे सजाए
मुझे ताबीर ना मिली

ये और बात है!
मैने जब भी तुझसे

बात करनी चाही,
मुझे अल्फ़ाज़ ना मिले

ये और बात है!
मै तेरे इश्क के समंदर मे

दूर तक निकला,
मुझे साहिल ना मिला
ये और बात है!
कुदरत ने लिखा था

तुझे मेरी तक़दीर मे,
तेरी किस्मत मे

नही था ये और बात है!





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