
कल प्रकाश पर्व दिवाली है,कार्तिक मास की अमावस्या | पौराणिक कथाओ के अनुसार आज ही के
दिन भगवान राम लंकाधिपति रावण पर विजयश्री प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे| नगर वासियों ने पूरी
अयोध्या को दीपकों से सजाकर जगमग कर अपनी खुशियों का इज़हार किया और अपने प्रभु
अयोध्या को दीपकों से सजाकर जगमग कर अपनी खुशियों का इज़हार किया और अपने प्रभु
श्रीराम का स्वागत किया |
कार्तिक की इसी अमावस्या को द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने बकासुर का बढ़ किया था|
आज ही के दिन जैन धर्म के नायक स्वामी महावीर का निर्वान दिवस है | पंद्रहवी शताब्दी में इसी
दीपावली के दिन सिक्ख गुरु नानकदेव की मृत्यु हुयी थी और आज ही के दिन आर्यसमाज
के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने अंतिम साँस ली थी|
इस प्रकार अमावस्या के अंधकार को यम का दूत समझा जाता था और उन्हीकी पूजाअर्चना के लिए
दीप जलाये जाते थे | आज यम को मृतु का देवता मानकर उनकी अचानक कल्पना कर ली गयी है
किन्तु ऋग्वेद में वे जीवन और मांगल्य के प्रतीक थे|दीपावली का पर्व स्मृतियों का संसार लेकर
आता है | आइए हम भी दीपदान करे और एक दुसरे के आत्म सम्मान और राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठां
रखते हुए यह संकल्प ले की हम अपने मन से ईर्ष्या द्वेष,कलुषता,स्वार्थ,लोभ,और अहंकार का अँधेरा
मिटाकर उन लोगो लिए दीप जलाएं जिन्होंने देश की सुरक्षा में अपनी प्राणों की आहूतिया दे दी,और
जिन्होंने आतंकवाद का शिकार होकर अपने प्राण त्याग दिए और उन लोगो को भी संबल देंने के लिए
जो हमें भ्रस्टाचार से मुक्त कराने की लडाई लड़ रहे हैं | और उन समस्त महा मानवों के लिए जो
इस संसार में प्रेम भाईचारा और बिश्वबंधुत्व के निर्माण के लिए चिंतन और साधना कर रहे है |
- अर्जुनराय,सकलडीहा,चंदौली उ०प्र०|

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