Thursday, November 3, 2011

कब सुधरेंगे हम ?




हम पश्चिमी सभ्यता वाले विकसित देशों के लोगो का कई तरह से अनुसरण करते है,जैसे उनकी तरह के  कपडे पहनना,उनकी तरह हेयर स्टाइल रखना इत्यादि| लडकिया विदेशी औरतों को आना आदर्श मानती है तो लड़के भी कम नहीं है किन्तु बड़े खेद का विषय यह है की हम उनकी उन बातों को अपने व्यक्तित्व में शामिल नहीं करते जिसके कारन उनका समाज विकसित हुआ है मसलन उनकी  देश के प्रति प्रेम,आदर्श,कर्त्तव्य,अनुशासन,कानून व्यवस्था और सामाजिक आचरण की सभ्यता|इन देशो में जाने आर पता चलता है की यहाँ रहना है तो सबसे जरुरी है यहाँ की व्यवस्था के अनुसार चलना वहां के कानून का पालन  करना और यदि ऐसा नहीं हुआ तो आप के साथ कोई रियायत नहीं की जाएगी |लोगो के व्यवहार,दूसरे के सोचने के तरीके,और स्वच्छता के प्रति गंभीरता यह सोचने को बाध्य करती है की क्यों न हम भी उनकी तरह  हो जाते ?असल में वहां सबसे ज्यादा व्यवस्था को
महत्व दिया जाता है |वहां व्यवस्था व्यक्ति को चलाती है जबकि हमारे यहाँ इसके  बिलकुल विपरीत
व्यक्ति व्यवस्था चलाता है | इसी  परिस्थिति को बदलना होगा,जब तक यह व्यवस्था नहीं बदलेगी हम नहीं बदलेगें |


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