श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व पर प्रत्येक भाई बहन एक धर्म सूत्र में बंधकर शुभ संकल्प लेते है| यह पर्व आत्मोन्नति का पर्व होने के साथ ही मन की चंचलता को दूर कर शीतलता प्रदान करने वाला पर्व है|जिस प्रकार भगवान भक्त की पूजा के भूखे होते है ठीक उसी प्रकार एक बहन भी अपने भाई से अपनी सुरक्षा और स्नेह का वचन लेती है और ईश्वर से यह प्रार्थना करती है की उसका भाई सदैव स्वस्थ निरोग और दीर्घायु रहे|इसी राखी के पवित्र बंधन ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बांध दिया था| देवासुर संग्राम मे जब 12 वर्षों तक युद्ध का निर्णय न नीलता दिखाई दे रहा था तब इंद्राणी ने गुरु बृहस्पति के सुझाव पर स्वयं देवराज इन्द्र को यही रक्षासूत्र बांधा ताकि देवराज की युद्ध में विजय हो|आज हमे भी यह संकल्प लेना होगा की हम धार्मिक जीवन,सुसंस्कृत जीवन,नैतिक जीवन को आत्मसात करते हुये और भोग विकृतियों का परित्याग करते हुये अपना नैतिक और सामाजिक उत्थान कर सके|आज इसी ऐतिहासिक भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाए और बधाई!

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