कह दे प्यार दोस्त से
बेवफा न समझे!
नज़रों से दूर सही पर
दिल से दूर न समझे!
यादेँ अभी भी उसकी
मेरे दिल में है महफूज़
व़ो किसी और पर
मुझे फ़िदा न समझे!!
उसकी बेरुखी ने कुछ
इस तरह किया है सितम
उब गया हूं ज़िन्दगी से
वो मुझे जिंदा न समझे!
मैं तो बस एक अदना
सा इन्सान हूँ दोस्त
बेवज़ह मुझे यूँ ही
अब खुदा न समझे!!

No comments:
Post a Comment