मुमकिन है सफर हो आंसा आ साथ चलकर देखेँ।
कुछ तुम भी बदलकर देखो कुछ हम भी बदलकर देखेँ।।
Wednesday, May 2, 2012
कसक
कसक ये दिल में दबी की दबी रह गई जिँन्दगी मेँ तुम्हारी कमी रह गई । एक हम एक तुम एक दीवार थे जैसे जिँन्दगी आधी-अधूरी बची रह गई। रात की भीगी छतोँ की तरह मेरी पलकोँ मेँ थोडी सी नमी रह गई मैनेँ रोका बहुत वो चली गई, और तन्हाई दूर तक फैलती चली गई ।
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