याद आते है वो स्कूल के दिन,
न जाते थे जब स्कूल दोस्तों के बिन,
कैसी थी वो दोस्ती कैसा था वो प्यार,
जुदाई से डरते थे जब आता था शनिवार
चलते-चलते पत्थरो पर मारते थे ठोकर,
कभी हँसकर चलते तो कभी चलते थे रोकर
कंधे पर बैग लिए हाथ में बोतल का पानी,
था बचपना पर दोस्ती की थी जवानी
याद आते है वो इंक और चाक से रंगे हाथ,
क्या दिन थे वो अपने जब लंच करते थे साथ
छुट्टी होते ही भाग कर कक्षा से बाहर आना,
और फिर हँसते-हँसते दोस्तों से मिल जाना
काश...! वो दोस्त आज फिर से मिल जाते?
दिल में फिर से बचपन के फूल खिल जाते !

आपने तो बिता वक़्त याद दिला दिया अर्जुन जी.... पुराने दोस्तों को याद कर के मन भर आया.... समय निकाल कर मिलकर आना पड़ेगा... बहुत-बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteसादर आभार शाहनवाज भाई।बचपन तो जीवन की बुनियाद है और उसका स्मरण तो मन को विचलित कर ही देता है ।
Deleteआपने तो बीता वक़्त याद दिला दिया अर्जुन जी.... पुराने दोस्तों को याद कर के मन भर आया.... समय निकाल कर मिलकर आना पड़ेगा... बहुत-बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteसादर आभार शाहनवाज भाई। ऐसे ही अपनी प्रतिक्रिया देते रहेँगेँ ऐसी अपेक्षा है ।
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