Friday, March 30, 2012
Sunday, March 25, 2012
अच्छा लगता है
मुझे अब नींद
की तलाश नहीं
रातों में जागना
अच्छा लगता है!
है या नहीं
मगर खुदा से उसे
मांगना अच्छा लगता है!
न जाने मुझे हक
है या नहीं
पर इस एहसास को
जीना अच्छा लगता है!
उससे प्यार करना
गलत है या सही
पर उसके लिए
जीना अच्छा लगता है!
कभी हम एक
साथ होंगे या नहीं
पर ये ख्वाब
देखना अच्छा लगता है!
वो मेरी है या नहीं
पर उसे अपना कहना
अच्छा लगता है!
दिल को बहलाया बहुत
पर मानता नहीं
शायद इसे भी उसके लिए
धडकना अच्छा लगता है!
की तलाश नहीं
रातों में जागना
अच्छा लगता है!
मुझे नहीं मालूम कि
वो मेरी किस्मत मेंहै या नहीं
मगर खुदा से उसे
मांगना अच्छा लगता है!
न जाने मुझे हक
है या नहीं
पर इस एहसास को
जीना अच्छा लगता है!
उससे प्यार करना
गलत है या सही
पर उसके लिए
जीना अच्छा लगता है!
कभी हम एक
साथ होंगे या नहीं
पर ये ख्वाब
देखना अच्छा लगता है!
वो मेरी है या नहीं
पर उसे अपना कहना
अच्छा लगता है!
दिल को बहलाया बहुत
पर मानता नहीं
शायद इसे भी उसके लिए
धडकना अच्छा लगता है!
Sunday, March 18, 2012
आखिर क्यों?
‘खेलब न खेलायीब खेलवे बिगारब' यह कहावत हम बचपन से सुनते आ रहे है लेकिन आज यह UPTET२०११ के सन्दर्भ में एकदम सटीक बैठती है। शिक्षा के सन्दर्भ में तमाम दावों,प्रतिदावों,वादों,सकल्पों एवं शिक्षा के अधिकार जैसे कानून बनने के बाद
किसी तरह से कई सालों के विराम के बाद,प्राथमिक एवं एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हुयी तमाम रिक्तियों के भरे जाने के बाद
७२८२५ प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा TET परीक्षा का आयोजन कराया गया तत्पश्चात विज्ञापन निकल
कर आवेदन माँगा गया।किन्तु दुर्भाग्य वश टेट परीक्षा अपने आयोजन के बाद से ही विवादों में है। असंतुष्ट लोग भाति-भाति प्रकार से इसे रोकने का प्रयास कर रहे है।किन्तु अब जब सब बाधाओं को पर करते हुए गाड़ी आगे बढ़ रही है तो परीक्षा को निरस्त करने
की बात की जा रही है।यहाँ तक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कई दैनिक पत्रों ने उप्तेत परीक्षा फिर से कराये जाने की
मंशा जाहिर की है। हम ये पूछते है कि क्या ये ठीक है? क्या इससे प्रदेश के बच्चों के भविष्य पर प्रभाव नहीं पड़ेगा? इसकी क्या गारंटी है कि पुनः परीक्षा होने पर धांधली नहीं होगी?यदि इस परीक्षा को रद्द कर देते है तो क्या प्रदेश के साढ़े ग्यारह लाख बी.एड. बेरोजगारों को नौकरी मिल जाएगी या उन्हें बेरोजगारी भत्ता देकर उनके पूरे परिवार का भरण-पोषण किया जा सकेगा?नहीं,उनको भी आत्मसम्मान
पूर्वक जीने का अधिकार मिलना चाहिए।सर्व शिक्षा अभियान को पूरा करने में अब और रोणे नहीं अटकाना चाहिए।
TET परीक्षा का आयोजन एवं उसी के आधार पर शिक्षकों को नियुक्त करना देश के लाखों बच्चों के भविष्य एवं प्रदेश के गिरते
प्राथमिक शिक्षा के स्तर को देखते हुए एक आवश्यक ,तर्कसंगत और न्यायसंगत प्रक्रिया है।यदि कुछ लोगों ने बेईमानी किया है तो कानून को उन्हें दंड देना चाहिए न कि पूरी परीक्षा निरस्त करके उन लोगो को जिनका इस बेईमानी से कोई लेना-देना नहीं है जिन्होंने
अपनी मेहनत से मेरिट में स्थान बनाया है उन्हें भी इसका दोषी बनाया जाना चाहिए। यदि इस परीक्षा आधार नहीं अन्य जा
सकता तो फिर उसी बोर्ड द्वारा आयोजित इंटर हाईस्कूल कि परीक्षाओ को आधार कैसे बनाया जा सकता है?जब कि हर बार इन परीक्षाओ के समय अख़बारों में अनेक जगहों पर सामूहिक नक़ल के बारे में निकलता रहता है। इसके अतिरिक्तCBSE बोर्ड और ICSE बोर्ड व UPबोर्ड को एक ही तराजू में ऐसे तोला जा सकता है? जबकि उनकी मेरिट में ज़मीन आसमान का फर्क है इसके अतिरिक्त
छोटी से छोटी नौकरी के लिए जहाँ कठिनतम प्रतियोगी परीक्षाओ का आयोजन होता है वही शिक्षक पद के लिए जिन पर बच्चों का भविष्य निर्भर करता है केवल हाईस्कूल,इंटर और स्नातक के अंकपत्रों के आधार पर नौकरी दे देना न्यायसंगत प्रक्रिया होगी?
अरे उंगली उठाना है तो पूर्व कि हुयी नियुक्तियों पर उठायें जिनका आधार हाईस्कूल,इंटर और स्नातक है।सब जानते है कि प्रदेश में स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली लागू होने के बाद से किस तरह नक़ल का आयोजन होता रहा है।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को ख़तम न करके इसके दोषों को खत्म करना चाहिए।नयी नियुक्तियों को न रोककर इसे प्रभावित करने वालों को रोकना चाहिए।जिससे वे भविष्य में भ्रष्टाचार न कर सके।संजय मोहन कि गिरफ़्तारी का स्वागत करना चाहिए और दोषियों के
प्रति दया न दिखाकर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।फर्जी तरीके से नंबर बढवाने वाले लोगो को सजा देनी चाहिए न कि सम्पूर्ण परीक्षा को ही रद्द करनी चाहिए जिनमें उत्तीर्ण लोगो ने अपने आवेदन भी कर रखे हों और उनके करोणों रूपये सरकारी
खाते में जमा हो चुके हों।
हमारे उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी काफी पढ़े-लिखे और युवा है इसलिए उनसे उम्मीदे बढ़ जाती है कि वे पुरानी सरकार से द्वेषभाव भुलाकर युवा बेरोजगारों कि भावनाओको समझते हुए TET उत्तीर्ण भावी शिक्षकों कि नियुक्ति
शिघ्रतिशीघ्र कराकर उनका सम्मान करेंगे ।
किसी तरह से कई सालों के विराम के बाद,प्राथमिक एवं एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हुयी तमाम रिक्तियों के भरे जाने के बाद
७२८२५ प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा TET परीक्षा का आयोजन कराया गया तत्पश्चात विज्ञापन निकल
कर आवेदन माँगा गया।किन्तु दुर्भाग्य वश टेट परीक्षा अपने आयोजन के बाद से ही विवादों में है। असंतुष्ट लोग भाति-भाति प्रकार से इसे रोकने का प्रयास कर रहे है।किन्तु अब जब सब बाधाओं को पर करते हुए गाड़ी आगे बढ़ रही है तो परीक्षा को निरस्त करने
की बात की जा रही है।यहाँ तक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कई दैनिक पत्रों ने उप्तेत परीक्षा फिर से कराये जाने की
मंशा जाहिर की है। हम ये पूछते है कि क्या ये ठीक है? क्या इससे प्रदेश के बच्चों के भविष्य पर प्रभाव नहीं पड़ेगा? इसकी क्या गारंटी है कि पुनः परीक्षा होने पर धांधली नहीं होगी?यदि इस परीक्षा को रद्द कर देते है तो क्या प्रदेश के साढ़े ग्यारह लाख बी.एड. बेरोजगारों को नौकरी मिल जाएगी या उन्हें बेरोजगारी भत्ता देकर उनके पूरे परिवार का भरण-पोषण किया जा सकेगा?नहीं,उनको भी आत्मसम्मान
पूर्वक जीने का अधिकार मिलना चाहिए।सर्व शिक्षा अभियान को पूरा करने में अब और रोणे नहीं अटकाना चाहिए।
TET परीक्षा का आयोजन एवं उसी के आधार पर शिक्षकों को नियुक्त करना देश के लाखों बच्चों के भविष्य एवं प्रदेश के गिरते
प्राथमिक शिक्षा के स्तर को देखते हुए एक आवश्यक ,तर्कसंगत और न्यायसंगत प्रक्रिया है।यदि कुछ लोगों ने बेईमानी किया है तो कानून को उन्हें दंड देना चाहिए न कि पूरी परीक्षा निरस्त करके उन लोगो को जिनका इस बेईमानी से कोई लेना-देना नहीं है जिन्होंने
अपनी मेहनत से मेरिट में स्थान बनाया है उन्हें भी इसका दोषी बनाया जाना चाहिए। यदि इस परीक्षा आधार नहीं अन्य जा
सकता तो फिर उसी बोर्ड द्वारा आयोजित इंटर हाईस्कूल कि परीक्षाओ को आधार कैसे बनाया जा सकता है?जब कि हर बार इन परीक्षाओ के समय अख़बारों में अनेक जगहों पर सामूहिक नक़ल के बारे में निकलता रहता है। इसके अतिरिक्तCBSE बोर्ड और ICSE बोर्ड व UPबोर्ड को एक ही तराजू में ऐसे तोला जा सकता है? जबकि उनकी मेरिट में ज़मीन आसमान का फर्क है इसके अतिरिक्त
छोटी से छोटी नौकरी के लिए जहाँ कठिनतम प्रतियोगी परीक्षाओ का आयोजन होता है वही शिक्षक पद के लिए जिन पर बच्चों का भविष्य निर्भर करता है केवल हाईस्कूल,इंटर और स्नातक के अंकपत्रों के आधार पर नौकरी दे देना न्यायसंगत प्रक्रिया होगी?
अरे उंगली उठाना है तो पूर्व कि हुयी नियुक्तियों पर उठायें जिनका आधार हाईस्कूल,इंटर और स्नातक है।सब जानते है कि प्रदेश में स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली लागू होने के बाद से किस तरह नक़ल का आयोजन होता रहा है।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को ख़तम न करके इसके दोषों को खत्म करना चाहिए।नयी नियुक्तियों को न रोककर इसे प्रभावित करने वालों को रोकना चाहिए।जिससे वे भविष्य में भ्रष्टाचार न कर सके।संजय मोहन कि गिरफ़्तारी का स्वागत करना चाहिए और दोषियों के
प्रति दया न दिखाकर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।फर्जी तरीके से नंबर बढवाने वाले लोगो को सजा देनी चाहिए न कि सम्पूर्ण परीक्षा को ही रद्द करनी चाहिए जिनमें उत्तीर्ण लोगो ने अपने आवेदन भी कर रखे हों और उनके करोणों रूपये सरकारी
खाते में जमा हो चुके हों।
हमारे उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी काफी पढ़े-लिखे और युवा है इसलिए उनसे उम्मीदे बढ़ जाती है कि वे पुरानी सरकार से द्वेषभाव भुलाकर युवा बेरोजगारों कि भावनाओको समझते हुए TET उत्तीर्ण भावी शिक्षकों कि नियुक्ति
शिघ्रतिशीघ्र कराकर उनका सम्मान करेंगे ।
Wednesday, March 14, 2012
'मौत' का ख्याल,

जब भी आता है 'मौत' का ख्याल,
करते मुझसे प्यार, याद तुम आते हो,
उस वक़्त तड़प कर रह जाता है मन,
उस वक़्त तड़प कर रह जाता है मन,
'जिंदगी' ने कई खेल खेले,
परिस्थितियों ने कई रंग बदले,
दिल ने कहा मिट जाएँ हम,
जहाँ न रहे शिकवा, कोई गम,
रहे तो बस एक सुन्दर मन,
मै जानता हूँ तुम बसाए हो,
मुझे तन-मन और हर 'धड़कन' में,
चाहते हो इतना कि मै भी न चाहूं ,
सोचता हूँ मै न रहूँ?
तो क्या तुम मेरे बिना रह पाओगे ?
कल्पना करो मेरे बिना तुम जी पाओगे ?
स्वप्न 'स्वर्णिम' वो भुला पाओगे ?
आ जाती है याद वो सारी बातें,
और छोड़ देती हैं सवाल सारे,
पर रोक देता है तुम्हारा प्यार!
जब भी आता है 'मौत का ख़याल'!
Thursday, March 8, 2012
Subscribe to:
Comments (Atom)





.jpg)