Friday, February 17, 2012

चले जाओ बेशक!

चले जाओ बेशक जिंदगी से पर,
इस दिलसे किस तरह जाओगे!
आएगी जब-जब भी मेरी याद, 
सोचकर  सिर्फ आंसू ही बहाओगे !
चाहोगे मुझसे मिलना हर बार, 
पर कभी मिल नहीं पाओगे !
पूछेगे जबभी मेरे बारे में लोग, 
सिर्फ गलती ही मेरी बताओगे !
होंगे तुम्हारी महफ़िल में कई लोग, 
पर मेरे बिना खुद को तनहा  पाओगे! 
सोचोगे जब भी मेरे बारे में कभी,
लगता तो नहीं पर शायद पछताओगे! 
माना के मिल जायेगे कई लोग,
पर 'दीवाना मुझसा नहीं'  पाओगे !



Thursday, February 16, 2012

तालमेल !

एक साथ रहते हुए,
ताल मिलती है,
मेल होता है!
हमारे देश के लोकतन्त्र में,
यही खेल होता है!!
कि एक दल से ,
कई दल बन जाते है,
फिर चुनाव के समय,
उनका 'तालमेल' होता है!!

Saturday, February 11, 2012

इक्कीसवीं सदी में ढूढ़ते रह जाओगे !(3)

चीजों में कुछ चीज़े,
बातों में कुछ बातें,
जिन्हें कभी नहीं,
देख पावओगे!
इक्कीसवीं सदी में,
ढूढ़ते रह जाओगे!!

गाता हुआ गांव,
पनघट की छांव,
किसानो का  हल,
मेहनत का फल,
मेहमान की आस,
छाछ की गिलास,
चहकता सा पनघट,
लम्बा सा घूँघट,
लज्जा से कापते होट,
पहलवान का लंगोट,
कट्टरता का उपाय,
सबकी एक राय,
मरने का मज़ा,
जीने का स्वाद,
नेता जी को चुनाव,
जितने के बाद,
दुर्घटना से रहित साल,
गुदरी में होने वाले लाल,
साँस लेने को ताज़ी हवा,
खैराती हस्पताल में दवा,
आपस में प्यार,
भरा पूरा परिवार,
बातचीत का रिवाज़,
दोस्ती का लिहाज़ ,
सड़क किनारे प्यावू,
बुलाने में तावू ,
दो रुपिए उधार,
नेता जी ईमानदार,
ढूढ़ते रह जाओगे!!

Sunday, February 5, 2012

इक्कीसवीं सदी में ढूढ़ते रह जाओगे (2)

चीजों में कुछ चीज़े,
बातों में कुछ बातें,
जिन्हें कभी नहीं,
देख पावओगे!
इक्कीसवीं सदी में,
ढूढ़ते रह जाओगे!!

भरत सा भाई,
लक्ष्मण सा अनुयायी,
चूड़ी भरी कलाई,
शादी में शहनाई,
बुराई की बुराई, 
सच में सच्चाई, 
गरीब की खोली, 
आँगन में रंगोली, 
परोपकारी बन्दे, 
अर्थी को कंधे, 
शिक्षक जो सच में पढाये,
अफसर जो रिश्वत न खाए, 
बुद्धजीवी जो राह दिखाए,
कानून जो न्याय दिलवाए,
बाप जो समझावे,
बेटा जो समझ पावे,

ढूढ़ते रह जाओगे!!