Sunday, January 1, 2023

नव वर्ष मंगलमय हो।

आओ हम अभिनंदन कर लें।

नए वर्ष का वंदन कर लें।।

नव प्रभात की स्वर्ण-रश्मियाँ,
मंगल कलश लिए आईं।
भरें नई स्फूर्ति प्राण में,
दिन बन जाएँ सुखदाई।।

थके-तपे जीवन को फिर से,
नए वर्ष में चंदन कर लें।

चुभे न कोई खार किसी के,
बिछें फूल ही जीवन-मग में।
पुलकित होंय हृदय जन-जन के,
प्रेम सुधा रस बरसे जग में।।

कटुता, हिंसा छोड़ सत्य से,
हम जीवन को कुंदन कर लें।

जीवन बगिया में खुशियों के,
नाचें मन के मोर सदा।
मानव-मानव में रिश्तों की,
होवे दृढ़ हर डोर सदा।।

ईश्वर सारे दुखियाओं का,
नए वर्ष में क्रंदन हर लें।

नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।




Saturday, February 26, 2022

I Love You का मतलब ये नही होता

मैं किसी को यह अधिकार दूं कि वह अपने शब्दों के द्वारा मुझे गाली दे।

मैं किसी को यह अधिकार दूं कि कोई बेवजह या वजह के भी मुझे शारीरिक चोट पहुंचाए,

मैं किसी के लिए हमेशा उपलब्ध रहूं,

मैं उस समय भी किसी की सारी जरूरतों और उनकी चाहतों को पूरा करूं, जिस समय वो मुझसे किनारा करने की कोशिश कर रहे हों, प्यार के बदले प्यार मिलेगा इससे ज्यादा कुछ नहीं।

मैं किसी को यह अधिकार दूं की वह मुझे कंट्रोल में करने की कोशिश करे, 

मैं किसी को अपना 100% एफर्ट दूं, जबकि सामने वाला मुझे हल्के में लेता हो।

दोस्त प्यार अलग चीज है लेकिन जब बात आए अपने जिंदगी की तो नियम बहुत कड़े और कड़वे रखने चाहिए 

मैं अक्सर कहता हूं आंख बंद कर किसी पर भी भरोसा ना करो चाहे वो दोस्त हो, प्यार हो या व्यापार , सिर्फ अपने घरवालों को छोड़कर ।


Sunday, August 23, 2020

इल्जाम

किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर,
हमनें ख़ुद तस्वीर ही बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर।।


प्रेरक प्रसंग…

एक बार एक राजा भोजन कर रहा था, अचानक खाना परोस रहे विश्वासपात्र सेवक के हाथ से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर छलक गई। 
राजा की त्यौरियां चढ़ गयीं।

जब सेवक ने यह देखा तो वह थोड़ा घबराया, लेकिन कुछ सोचकर उसने प्याले की बची सारी सब्जी भी राजा के कपड़ों पर उड़ेल दी।
अब तो राजा के क्रोध की सीमा न रही। उसने सेवक से पूछा, 'तुमने ऐसा करने का दुस्साहस कैसे किया?

सेवक ने अत्यंत शांत भाव से उत्तर दिया, महाराज! पहले आपका गुस्सा देखकर मैनें समझ लिया था कि अब जान नहीं बचेगी। लेकिन फिर सोचा कि लोग कहेंगे की राजा ने छोटी सी गलती पर एक बेगुनाह को मौत की सजा दी। ऐसे में आपकी बदनामी होती। तब मैनें सोचा कि सारी सब्जी ही उड़ेल दूं। ताकि दुनिया आपको बदनाम न करे। और मुझे ही अपराधी समझे।

राजा को उसके जबाव में एक गंभीर संदेश के दर्शन हुए और पता चला कि सेवक भाव कितना कठिन है। जो समर्पित भाव से सेवा करता है उससे कभी गलती भी हो सकती है फिर चाहे वह सेवक हो, मित्र हो, या परिवार का कोई सदस्य, ऐसे समर्पित लोगों की गलतियों पर नाराज न होकर उनके प्रेम व समर्पण का सम्मान करना चाहिए।



Sunday, April 14, 2019

लौट आओ...

लौट आओ वो हिस्सा लेकर जो साथ ले गए
थे तुम,
इस रिश्ते का अधूरा-पन अब अच्छा नहीं
लगता।।


Saturday, April 13, 2019

सीख रहा हूँ

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
मुझे हर उस बात पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो मुझे चिंतित करती है।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
जिन्होंने मुझे चोट दी है मुझे उन्हें चोट नहीं देनी है।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
शायद सबसे बड़ी समझदारी का लक्षण भिड़ जाने के बजाय अलग हट जाने में है।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
अपने साथ हुए प्रत्येक बुरे बर्ताव पर प्रतिक्रिया करने में आपकी जो ऊर्जा खर्च होती है वह आपको खाली कर देती है और आपको दूसरी अच्छी चीजों को देखने से रोकती है

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
मैं हर आदमी से वैसा व्यवहार नहीं पा सकूंगा जिसकी मैं अपेक्षा करता हूँ।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
किसी का दिल जीतने के लिए बहुत कठोर प्रयास करना समय और ऊर्जा की बर्बादी है और यह आपको कुछ नहीं देता, केवल खालीपन से भर देता है।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
जवाब नहीं देने का अर्थ यह कदापि नहीं कि यह सब मुझे स्वीकार्य है, बल्कि यह कि मैं इससे ऊपर उठ जाना बेहतर समझता हूँ।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
कभी-कभी कुछ नहीं कहना सब कुछ बोल देता है।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
किसी परेशान करने वाली बात पर प्रतिक्रिया देकर आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण की शक्ति किसी दूसरे को दे बैठते हैं।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
मैं कोई प्रतिक्रिया दे दूँ तो भी कुछ बदलने वाला नहीं है। इससे लोग अचानक मुझे प्यार और सम्मान नहीं देने लगेंगे। यह उनकी सोच में कोई जादुई बदलाव नहीं ला पायेगा।

मैं धीरे-धीरे सीख रहा हूँ कि...
जिंदगी तब बेहतर हो जाती है जब आप इसे अपने आसपास की घटनाओं पर केंद्रित करने के बजाय उसपर केंद्रित कर देते हैं जो आपके अंतर्मन में घटित हो रहा है।
आप अपने आप पर और अपनी आंतरिक शांति के लिए काम करिए और आपको बोध होगा कि चिंतित करने वाली हर छोटी-छोटी बात पर प्रतिक्रिया 'नहीं' देना एक स्वस्थ और प्रसन्न जीवन का 'प्रथम अवयव' है।





Thursday, March 29, 2018

बीएड, बीपीएड अभ्यर्थियों को सीएम का आश्वासन

भर्ती के लिए अभ्यर्थियों ने जीपीओ पार्क में किया प्रदर्शन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात बाद समाप्त किया विरोध

जागरण संवाददाता, लखनऊ: मंगलवार को शारीरिक शिक्षक (बीपीएड) संघर्ष मोर्चा, बीएड टीईटी 2011 अभ्यर्थी मोर्चा, विशिष्ट बीटीसी 2004,07,08 की ओर से अपनी मांगों को लेकर अलग अलग स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान अभ्यर्थियों के उग्र होने पर कई बार तनाव की स्थिति भी उपजी। मगर मौके पर मौजूद पुलिस ने स्थिति नियंत्रित कर ली। शाम करीब पांच बजे तीनों संगठनों के प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री से भेंट की। वहां से आश्वासन मिलने के बाद विरोध प्रदर्शन पर विराम लग सका।

बीपीएड संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मंगलवार को बड़ी तादाद में अभ्यर्थी हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क पहुंचे। अपरान्ह करीब तीन बजे अभ्यर्थियों ने यहां से भाजपा मुख्यालय का रुख किया। इसी दौरान सीएम कार्यालय से अभ्यर्थियों से मुलाकात की सूचना आई। इसके बाद संगठन के प्रदेश अध्यक्ष धीरेंद्र यादव की अगुवाई में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीएम से मिला। इसी क्रम में बीएड टीईटी अभ्यर्थियों के प्रतिनिधिमंडल की भी मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। दोनों संगठनों को सीएम से एक सप्ताह के भीतर नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन मिला।

बीपीएड अभ्यर्थियों की मांगें

कोर्ट के आदेश के तहत तय समय के भीतर भर्ती प्रक्रिया को शुरू कराए जाने संबंधी निर्णय पर जल्द अमल हो।

हजरतगंज स्थित भाजपा कार्यालय गेट के पास अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते शारीरिक शिक्षक (बीपीएड)संघर्ष मोर्चा के अभ्यर्थी। इस दौरान उनका हुजूम जब भाजपा कार्यालय की ओर बढ़ा तो मुख्य मार्ग पर भीषण जाम लग गया। इसी के चलते दोपहर 2.45 बजे नेशनल कॉलेज के तिराहे के पास तक वाहनों के पहिये थम गए। इसी जाम में मरीज को लेकर जा रही एंबुलेंस भी काफी देर तक फंसी रही उमेश शुक्ला

विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों की मांगें

फरवरी 2004, फिर 07 और 08 में प्राथमिक विद्यालय सहायक अध्यापक पद के लिए विज्ञापन निकाला गया था। इसके तहत छह माह का प्रशिक्षण करने के बाद प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर समायोजन/ नियुक्ति के आदेश दिए गए थे। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण कराया गया, मगर समायोजन व नियुक्ति नहीं की गई। सरकार इन पदों पर तत्काल नियुक्ति करे।

बीएड टीईटी वालों की मांग

1.सुप्रीम कोर्ट से बहाल 15वें संशोधन पर आधारित 7 दिसंबर 12 के विज्ञापन पर रुकी भर्ती तत्काल शुरू की जाए।

2.सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश 25 जुलाई 2017 का पूर्णत: पालन हो।

3. छह से 14 वर्ष के बच्चों को मौलिक अधिकार का हनन न हो।

4. प्रदेश में रिक्त 308316 शिक्षकों के पद जल्द भरे जाएं।

5. सात वर्षो से पीड़ित बीएड व टीईटी पास अभ्यर्थियों के साथ न्याय हो।

Sunday, March 18, 2018

आखिर क्यों?

बी०एड्० और टी०ई०टी० उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को उत्तरप्रदेश-शासन नियुक्त क्यों नहीं कर रहा?
   --- डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
   यह समाचार उन विद्यार्थियों से सम्बन्धित है, जिन्होंने बी०एड्० और टी०ई०टी० (अध्यापक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण की और वर्ष २०११ में प्राइमरी शिक्षक की भर्ती हेतु आवेदन किया था। उस समय २३ अगस्त, २०१० ई० को 'शिक्षा का अधिकार अधिनियम' लागू हो गया था, जिसके अन्तर्गत शिक्षक-चयन के लिए यह मानक तय किया गया था कि जो बी०एड्०, टी०ई०टी० उत्तीर्ण हैं, वही शिक्षक बनने के लिए योग्य हैं। इस तरह आर०टी०ई०टी० के अन्तर्गत उच्च गुणवत्ता के लिए मानक के अनुरूप शिक्षक नियुक्ति के लिए तत्कालीन सामाजवादी सरकार को कार्य करना था लेकिन 'वोट बैंक' के मोह में बेईमान ग्रामप्रधानों-द्वारा 'शैक्षिक योग्यता' के आधार पर चयनित सामुदायिक सेवा के तौर संविदा पर रखे गये शिक्षामित्रों को १० वर्षों से पाला-पोसा जा रहा था। स०पा० से पहले ब०स०पा० भी यही करती आ रही थी लेकिन आर०टी०ई०एक्ट २३अगस्त, २०१० ई० को लागू होने के कारण बी०एड्० और टी०ई०टी० उत्तीर्ण विद्यार्थियों की अनदेखी की गयी थी।     
   आर०टी०ई० एक्ट के लागू होने के लगभग छः महीने के अन्दर लाखों की संख्या में रिक्त पदों को योग्य यानी बी०एड्०-टी०ई०टी० उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से भरा जाना न्यायसंगत था लेकिन उन्हें नज़र- अन्दाज़ कर, वर्ष २०१७ के चुनाव में लाभ लेने के उद्देश्य से  स०पा०-सरकार ने संविदा शिक्षकों को दूरस्थ शिक्षा-पद्धति से बी०ए० और बी०टी०सी० करा कर, उन्हें आर०टी०ई० एक्ट के तहत सरकारी नौकरी थमा दी गयी; परिणामत: मामला उच्च न्यायालय में गया लेकिन समाजवादी सरकार ने शिक्षामित्रों का समर्थन किया फिर प्रकरण उच्चतम न्यायालय में गया। उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित मानक के अभाव में शिक्षामित्रों की एक न सुनी। सरकार को कई बार न्यायालय-द्वारा अन्तरिम आदेश के तहत उस समय बी०एड्०-टी०ई०टी० उत्तीर्ण विद्यार्थियों, जो न्याय के लिए संघर्ष कर रहे थे, को 'तदर्थ' रूप में नियुक्त करने का अन्तरिम आदेश किया गया था लेकिन समाजवादी सरकार ने आनन-फानन में शिक्षामित्रों को स्थायी कर दिया, जिससे बी०एड्०-टी०ई०टी० उत्तीर्ण विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया। वहीं अपने हक़ के लिए मई, २०१० ई० में बेसिक शिक्षा परिषद् कार्यालय, इलाहाबाद में बी०एड्०-टी०ई०टी० उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू कराने के लिए व्यापक स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया। उसमें हज़ारों बेरोज़गार अपने हक़ के लिए आये लेकिन एक दिन बाद वहाँ रात को निदेशालय का गेट बन्दकर  समाजवादी सरकार ने लाठीचार्ज करा दिया और पुलिस जेल में ठूँसने लगी।
    दूसरी ओर, कथित शिक्षामित्रों पात्रता-रहित नेता ग़ाज़ी इमाम आला ने साफ़ शब्दों में कह दिया था--- सरकार हमें फाँसी दे दे लेकिन हम टी०ई०टी० नहीं करेंगे। यह नेता ग़ाज़ी  इमाम आला शिक्षामित्र है और सपा का चम्मचा भी। उसने कई बार टी०ई०टी० परीक्षा दी लेकिन ३० से ४० प्रतिशत अंक भी लाने में असमर्थ रहा।
     आगे चलकर, उत्तरप्रदेश का नेतृत्व-परिवर्त्तन हुआ।  उत्तरप्रदेश के मुख्य मन्त्री आदित्यनाथ योगी मुख्य मन्त्री बने परन्तु उक्त विषय के प्रति वे भी गम्भीर नहीं दिखे। यही कारण है कि सारे अभ्यर्थियों की नियुक्ति अब भी अधर में लटकी पड़ी है; स्थिति यथावत् है। प्रश्न है, ऐसा क्यों है? क्या यह विषय उनके संज्ञान में नहीं है कि आज राज्य में प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा-शालाओं में लाखों की संख्या में अध्यापकों का अभाव है। उस शिक्षार्जन का क्या औचित्य, जो सेवा के लिए अपेक्षित शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी विद्यार्थियों को नियोजित न कर सके?
    वर्ष २०११ से अब तक समूचे राज्य मे बी०एड्०, टेट शिक्षा-प्रशिक्षा प्राप्त विद्यार्थी अध्यापक की नौकरी पाने के लिए इधर-से-उधर भटक रहे हैं, जबकि उत्तरप्रदेश के शिक्षालयों के दरवाज़े उनके लिए बन्द दिख रहे हैं! इस सन्दर्भ में राज्य के युवा-वर्ग के प्रति मुख्य मन्त्री, शिक्षामन्त्री, राज्यपाल आदिक की क्या कोई सकारात्मक भूमिका नहीं है? यदि नहीं तो क्यों?
   कितनी कठिनाइयाँ सहकर माँ-बाप आपने बच्चों को अत्युत्तम शिक्षा दिलाते हैं और जब उन्हें सेवा में लेने का समय आता है तब सरकार हाथ खड़े कर देती है और 'वोट की राजनीति' को प्रश्रय देने के लिए अयोग्य और अवैध शिक्षा अर्जित करनेवाली भीड़ के सम्मुख नतमस्तक हो जाती है। ऐसा ही यदि करना हो तो क्यों न राज्य के सारे विद्यालयों को स्थायी रूप में बन्द कराकर, वहाँ 'बाबाओं के डेरे' खोल दिये जायें? वहाँ हिन्दुत्व भी पलता रहेगा; उल्लू भी सीधे होते रहेंगे तथा आर्थिक साम्राज्य का विस्तार भी होता रहेगा।
     उत्तरप्रदेश के मुख्य मन्त्री, शिक्षामन्त्री तथा राज्यपाल उक्त विषयक को, निम्नांकित प्रश्नों के सन्दर्भ में,  गम्भीरतापूर्वक अपने संज्ञान में लें :------- 
१- सुपात्र विद्यार्थियों की मन:दशा को समझने के लिए उत्तरप्रदेश-सरकार को संचालित करनेवाले मन्त्री-मुख्यमन्त्री, राज्यपाल आदिक निर्णायक समय क्यों नहीं दे रहे हैं?
२- वे विद्यार्थियों के प्रतिनिधियों के साथ प्रत्यक्षत: सकारात्मक संवाद करने से कतरा क्यों रहे हैं?
३- निर्धारित की गयीं समस्त अभियोग्यता, अर्हता तथा पात्रता होने के बाद भी राज्य-सरकार उन्हें उनका वैध अधिकार देने से पीछे हट क्यों रही है?
४- जो समय उन विद्यार्थियों का अध्ययन-अध्यापन करने का है, उसे राज्य-सरकार 'कोर्ट-कचहरियों' के चक्कर लगवाने में क्यों अपव्यय करा रही है?
५- क्या ऐसे योग्य विद्यार्थियों की उपेक्षा कर, राज्य-शासन उन्हें कुण्ठित कर, अपराधशास्त्र की दीक्षा लेने के लिए बाध्य नहीं कर रहा है?
    वर्तमान मुख्य मन्त्री आदित्य नाथ योगी को नहीं भूलना चाहिए कि उन शिक्षित बेरोज़गार युवक-युवतियों में से अधिकतर वही लोग हैं, जिन्होंने यथाशक्य परिश्रम करके 'भारतीय जनता पार्टी' को लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में अतिरिक्त बहुमत के साथ सत्ता में लाने का काम किया है। ज़ाहिर है, यदि वही शिक्षित बेरोज़गार युवाशक्ति सत्ता में लायी है तो सत्ता से बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है। अत: उन अर्हता और निर्धारित योग्यता-प्राप्त अभ्यर्थियों का अधिकार देकर उत्तरप्रदेश-सरकार के मुखिया आदित्यनाथ योगी अपने दायित्व को समझें।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; १६ फ़रवरी, २०१८ ई०)

Narendra Modi Dr. Mahendra Nath Pandey Dr. Sambit Patra DCM Office UP- Dr. Dinesh Sharma Chief Minister Office Uttar Pradesh
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साभार: बेरोजगार युवा (फ़ेसबुक )

Thursday, March 15, 2018

सर्वे भवन्तु सुखिनः

कौन किस धर्म का
किस की क्या जाति
ये फ़र्क तुम पता करो,
मेरी तो हर सांस के
हर स्वर पे
सिर्फ यही
एक गीत बजता है-कि
मिट्टी का बना आदमी
यहाँ सब एक जैसा है

Wednesday, March 14, 2018

#उपचुनाव

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Friday, August 18, 2017

कल और आज...

एक समय था जब " मंत्र " काम करते थे !
उसके बाद एक समय आया जिसमें " तंत्र " काम करते थे...

फिर समय आया जिसमे " यंत्र " काम करते थे !
और आज के समय में कितने दुःख की बात है,
सिर्फ
" षड्यंत्र " काम करते है...!!!

 जब तक "सत्य " घर से बाहर निकलता है.......!
तब तक " झूठ " आधी दुनिया घूम लेता है...!!