सफ़र
मुमकिन है सफर हो आंसा आ साथ चलकर देखेँ। कुछ तुम भी बदलकर देखो कुछ हम भी बदलकर देखेँ।।
Sunday, August 23, 2020
इल्जाम
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर,
हमनें ख़ुद तस्वीर ही बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर।।
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