मुमकिन है सफर हो आंसा आ साथ चलकर देखेँ। कुछ तुम भी बदलकर देखो कुछ हम भी बदलकर देखेँ।।
कौन किस धर्म का किस की क्या जाति ये फ़र्क तुम पता करो, मेरी तो हर सांस के हर स्वर पे सिर्फ यही एक गीत बजता है-कि मिट्टी का बना आदमी यहाँ सब एक जैसा है
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