Thursday, March 15, 2018

सर्वे भवन्तु सुखिनः

कौन किस धर्म का
किस की क्या जाति
ये फ़र्क तुम पता करो,
मेरी तो हर सांस के
हर स्वर पे
सिर्फ यही
एक गीत बजता है-कि
मिट्टी का बना आदमी
यहाँ सब एक जैसा है

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