सफ़र
मुमकिन है सफर हो आंसा आ साथ चलकर देखेँ। कुछ तुम भी बदलकर देखो कुछ हम भी बदलकर देखेँ।।
Sunday, April 14, 2019
लौट आओ...
लौट आओ वो हिस्सा लेकर जो साथ ले गए
थे तुम,
इस रिश्ते का अधूरा-पन अब अच्छा नहीं
लगता।।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment