आइये भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं
नई नई मूर्तियों को शीश झुकाते हैं
नेताओं के आगे पीछे मंडराते हैं
जिन्होंने दिलाई थी आज़ादी देकर क़ुरबानी
उनकी प्रतिमाओं को अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं
आइये भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं
नारी के अपमान पर चुप रह जाते हैं
कन्याओं के पढ़ने पर रोक लगाते हैं
गर्भ में कन्या तो नही, जाँच करवाते हैं
दहेज़ की खातिर बहू को जलाते हैं
आइये भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं
समाज में जातिवाद का जहर फैलाते हैं
छोटे बच्चों से होटलों में काम कराते हैं
जगह जगह गंदगी फैलाते और पीक लगाते हैं
चोरी बेईमानी करने में तनिक न सकुचाते हैं
आइये भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं
आइये हर दिन शहीदों के आदर्शों की बलि चढ़ाते हैं
बस एक दिन के देशभक्त बनने का स्वांग रचाते हैं
शहीदों के जन्मदिन शहीदी दिवस भूल जाते हैं
प्रिय नेता को धन से तोलकर चरणों में झुक जाते हैं
आइये भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं

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