Monday, September 5, 2016

शिक्षक दिवस पर विशेष...

आज 'शिक्षक-दिवस' है !
सिकंदर और सम्राट चन्द्रगुप्त के बीच का सँघर्ष इन दो राजाओं का नहीं था ! 
सँघर्ष था दो महान गुरुओं की प्रज्ञा चेतना का , दो महान गुरुओं के अस्तित्व का ! 
एक थे सामान्य किन्तु विलक्षण, भारतीय युवा-गुरु,तक्षशिला-स्नातक 'चाणक्य' और दूसरे थे यूनान के कुल-गुरु,राजवंशियों के गुरु 'अरस्तू' परिणाम सामने था ! यहीं से पश्चिम के मन में भारतीय गुरु-परंपरा को लेकर भय और आदर व्यापत हो गया था ! यही कारण है कि मैकाले के मानस पुत्रों ने भारत को जो भीषण कष्ट दिए हैं उन में से एक यह भी है कि पूरी शिक्षा-पद्धति से षड्यंत्र-पूर्वक गुरु' को हटा कर उस की जगह 'शिक्षक' को बिठा दिया ! चाहे- अनचाहे,समय-असमय आज तक के जीवन में प्रथम-गुरु 'माँ' से लेकर हर उस गुरु के चरणों में सादर-साष्टांग प्रणाम निवेदन है जिन की कृपा से मनुष्यता की यात्रा सहज-सुगम हो सकी ! सभी 'गुरुओं' के सतत् आशीष की अपेक्षा में ...

तुम्हारे होने से किस-किस को आस क्या-क्या है ?
तुम्हारी आम सी बातों में ख़ास क्या-क्या है ?
ये तुम ने हम को सिखाया है अपने होने से ,
भले वो कोई हो इन्सा के पास क्या-क्या है .....?



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