Tuesday, January 1, 2013

नए वर्ष के ऐ पंछी...

नए वर्ष के ऐ पंछी
उड़ जा तू कोमल पंख पसार
दे आ नूतन प्रेम संदेशा
हर एक द्वार-द्वार
जाति-पाति और वर्ग-धर्म के
भाषा-क्षेत्र,मंदिर-मस्जिद के
लौह सलाखें पिघला हर बार
प्रेम स्नेह की प्रखर ज्योति से
नयी अरुणिमा की आभा से
शहर-शहर और गाँव-गाँव की
रंग दे गलियाँ और चौबार
पुरखों की गौरव गाथाएँ
भावों की विह्वल आशाएँ
करे हरेक दिल को झंकार
हर मानव को प्रगति लक्ष्य की
नयी मंजिलों और दिशा की
मनुष्यता उज्ज्वल भविष्य की
मस्त पवन के झोंके जैसी
खुशबू का तू कर संचार 


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