चंद यादें ही तुम्हारी जिंदगी भर को बहुत है,
और फिर उनकी शुमारी जिंदगी भर को बहुत है|
तुम न शर्माओ की तुमने कम दिया है कम नहीं है,
जिंदगी कितनी हमारी,ज़िंदगी भर को ही बहुत है|
चंद कहता है कलंकित भाग दुनिया को दिखाकर,
एक ही गलती हमारी ज़िंदगी भर को ही बहुत है|
हम न आएंगे वहाँ पर रोज़ एक साकी पिला दे,
ऐसी मय जिसकी खुमारी उम्र भर को ही बहुत है|
सिर्फ एक कलम देकर इन अभागी अंगुलियों में,
भाग्य बोला लो तुम्हारी ज़िंदगी भर को बहुत है|
और फिर उनकी शुमारी जिंदगी भर को बहुत है|
तुम न शर्माओ की तुमने कम दिया है कम नहीं है,
जिंदगी कितनी हमारी,ज़िंदगी भर को ही बहुत है|
चंद कहता है कलंकित भाग दुनिया को दिखाकर,
एक ही गलती हमारी ज़िंदगी भर को ही बहुत है|
हम न आएंगे वहाँ पर रोज़ एक साकी पिला दे,
ऐसी मय जिसकी खुमारी उम्र भर को ही बहुत है|
सिर्फ एक कलम देकर इन अभागी अंगुलियों में,
भाग्य बोला लो तुम्हारी ज़िंदगी भर को बहुत है|









