Monday, December 31, 2012

चंद यादें ही...

चंद यादें ही तुम्हारी जिंदगी भर को बहुत है,
और फिर उनकी शुमारी जिंदगी भर को बहुत है|
तुम न शर्माओ की तुमने कम दिया है कम नहीं है,
जिंदगी कितनी हमारी,ज़िंदगी भर को ही बहुत है|
चंद कहता है कलंकित भाग दुनिया को दिखाकर,
एक ही गलती हमारी ज़िंदगी भर को ही बहुत है| 
हम न आएंगे वहाँ पर रोज़ एक साकी पिला दे,
ऐसी मय जिसकी खुमारी उम्र भर को ही बहुत है|
सिर्फ एक कलम देकर इन अभागी अंगुलियों में,
भाग्य बोला लो तुम्हारी ज़िंदगी भर को बहुत है| 



Tuesday, November 13, 2012

HAPPY DEEPAWALI

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥





Sunday, October 21, 2012

शारदीय...

शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर आप सभी लोगो को “दुर्गापूजा" 
व"दशहरा” की ढेर सारी बधाई व शुभ-कामना! मा शेरावाली आप सभी
के घर परिवार के उपर सुख-शांति,खुशहाली और आरोग्यता बनायें रहें !


Sunday, September 16, 2012

A moment....

I was in bad mood,
There was total gloom.
Sun was shining in the sky however.
There was no light in my mind ,
There was darkness.
All around pain and agony ruled my heart,
Thoughts made me scary increased my worries,
My gladness gone,
Insecurity made me feel alone,
Negativity crept in positivity gone.
Whom to trust?
Whom to believe?
The question remained unanswered.
Should I talk? Should I write?
About what I felt? What I thought?
I felt trapped like a fly in the spiders web,
Longing to come out of my bad mood,
Bring back my rosy smile taking life as it came.
                                    




Friday, September 14, 2012

एक बूढ़ी औरत...

एक बूढ़ी औरत !
राजघाट पर बैठे बैठे रो रही थी
न जाने किसका पाप था जो
अपने आसुओं से धो रही थी
मैंने पूछा माँ! तुम कौन हो?
मेरी बात सुनकर वह
बहुत देर तक रही मौन,
लेकिन जैसे ही उसने
अपना मुंह खोला,लगा
दिल्ली का सिंहासन डोला
वह बोली- अरे तुम जैसे
नालायक़ों के कारण शर्मिंदा हूँ
न जाने अब तक क्यों जिंदा हूं?
अपने ही लोगो की उपेक्षा के कारण
तार-तार हूं चिंदी हूं,
मुझे गौर से देख,
मैं  राष्ट्रभाषा हिन्दी हूं|
जिसे होना था राजरानी
आज नौकरानी है|
मेरे आँचल में तो है सद्भाव,
मगर आँखों में पानी है|
गोरी मेम को दिल्ली की गद्दी
और मुझे बनबास,
कदम कदम पर अब तो
हो रहा है उपहास|
सारी दुनिया भारत को
देखकर चमत्कृत है,
एक भाषा हिन्दी अपने ही
घर में बहिष्कृत है|
बेटा मैं तुम लोगो के पापों को
वर्षों से ढो रही हूं,
कुछ और नहीं कर सकती
इसीलिए बैठ के रो रही हूं|
अगर तुम्हें मेरे आंसूँ,
है पोछने ओ आगे आओ
सोते हुए देश को जगाओ
और इस गोरी मेम को हटाकर
मेरा हक मुझे दिलाओ|
अरे!मै हिन्दी हूँ मुझसे डरो मत
हर भाषा को साथ लेकर चलती हूँ,
और सबके साथ मिलकर
दिवाली के दीपक सा जलती हूँ|

 
 

Wednesday, August 15, 2012

15 August

सारे जहाँ से  अच्छा हिन्दोस्तां हमारा .................
आज एक बार फिर हम सभी स्वतंत्रता दिवस की 66वीं वर्षगाठ मनाने को आतुर है।कालचक्र चलता रहता है। वर्ष,मास,दिन और
पल पल घटनाए बदलती रहती हैं और छोड़ जाती है एक अनुत्तरित 
सा प्रश्न की क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं? हमारी अस्मिता,हमारी धरोहर,हमारे प्रतीक चिह्न और हमारी जीवन 
पद्धति क्या सचमुच अक्षुण है?जवाब मिलता है किशायद नहीं।क्योंकि 
सीमा विवाद जैसी घटनाएँ हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को चोट पहुंचा रही
है। हमारे धरोहर भी भूलुंठित हो रहे है,उन्हें संरक्षित न करना,देश को
शर्मसार करने जैसा ही है।प्रतीक चिह्न  भी सभ्यता का आईना होते 
है और उनकी सुरक्षा-संरक्षा ठीक ढंग से न हो पाना अपमानित और 
लांक्षित करता है।और जहाँ तक जीवन पद्धति का सवाल है हम देश
वासी आर्यावर्त के मूल को छोड़कर विभिन्न संस्कृतियों के साँझा-स्वरुप को अपनाये हुए है और यह कृत्य भी हमें कहीं न कहीं विदूषक
की श्रेणी में ला खड़ा करता है और अफ़सोस इस बात का है  कि स्वतंत्रता
के 66वर्षीय इतिहास में यह सब दिखाई दे रहा है।बुद्ध की प्रतिमा का 
विखंडन,अमेरिका में एक मदिरा की बोतल पर माँ काली की नग्नछवि 
को उकेरना आदि घटनाओं से हम व्यथित और लज्जित हुए हैं।
अपसंस्कृति का उदाहरण हमें बाहर से लेकर घर तक देखने को मिल रहा
है,हम उन्मुक्त हो गए हैं और यह स्वछंदता हमें विदूषक की स्थिति में ला 
खड़ी कर देती है।कालचक्र चलता रहता है हम अनेकों बार स्वतंत्रता दिवस
मनाते रहें और गणतंत्र की भावना से ओतप्रोत होते रहें?     


Friday, August 10, 2012

हाथी, घोड़ा, पालकी जय कन्हैया लाल की !

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
हे आनंद उमंग भयो
जय हो नन्द लाल की
नन्द के आनंद भयो
जय कनैया लाल की
हे ब्रज में आनंद भयो
जय यशोदा लाल की
नन्द के आनंद भयो
जय कन्हैया लाल की
हे आनंद उमंग भयो
जय हो नन्द लाल की
गोकुल के आनंद भयो
जय कन्हैया लाल की
जय यशोदा लाल की
जय हो नन्द लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी
जय कन्हैया लाल की
जय हो नन्द लाल की
जय यशोदा लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी
जय कन्हैया लाल की
हे आनंद उमंग भयो
जय कन्हैया लाल की
हे कोटि ब्रह्माण्ड के
अधिपति लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी
जय कन्हैया लाल की
हे गौने चराने आये
जय हो पशुपाल की
नन्द के आनंद भयो
जय कन्हैया लाल की
आनंद से बोलो सब
जय हो ब्रज लाल की
हाथी, घोड़ा, पालकी
जय कन्हैया लाल की
जय हो ब्रज लाल की
पावन प्रतिपाल की
हे नन्द के आनंद भयो
जय हो नन्द लाल की
 

Saturday, July 7, 2012

हमारा व्यक्तित्व

नेंक मनोंवैज्ञानिको ने कहा है की व्यक्तित्व मन और शरीर का संगठनात्मक योग है अर्थात हमारा सुन्दर तन ही केवल मायने नहीं रखता इसके साथ साथ सुन्दर मन का भी होना जरूरी है क्योकि हमारा चेहरा हमारे मन का प्रतिबिम्ब है।हमारे बाहरी भावों की अभिव्यक्ति का उद्गम स्थल हमारा मन ही होता है,हमारे विचार पहले हमारे मन में ही उठते है जिसके ऊपर हमारा व्यवहार निर्भर करता करता है।इस बात का ध्यान रखना जरूरी है की इनमें सदैव संतुलन बना रहे ।क्योकि आज ज्यादातर लोग वाह्य व्यक्तित्व के सुधार में लगे रहते है जबकि व्यक्तित्व का होना ज्यादा आवश्यक है तभी हमारा सम्पूर्ण व्यक्तित्व सुधर सकता है।




Friday, June 8, 2012

बेवफा है या पत्थर दिल ...!

आज के दौर में मैं इतना आगे निकल आया
जिसका मुझे डर था वही सामने पाया!
हर पल हर घडी उसी की याद सताती है
बहुत समझाया दिल अपने आप को !
पर दिल और दिमाग ने साथ ही नहीं दिया
देता भी कैसे ?दिल दिल के हाथों मजबूर था!
और दिमाग उसकी यादों में उसकी यादों में था
आखिर बात क्या थी जो उसने दूरी की 
मेरी समझ में अभी तक न आया!
लम्हा लम्हा वक़्त गुजर रहा है
गम कम होने का नाम नहीं ले रहा है!
अक्सर सोचता रहता हूँ क्यों प्यार हो गया
जब की मैं जानता हूँ की प्यार पूरा कम होता है!
अब तो शरीर भी जान  नहीं है शायद ?
पर दिल की धड़कन कहती है की अभी जिन्दा हूँ!
काश तुने जहर दे दिया होता !
न जान रहती न तेरी याद आती
कम से कम इस तरह तो न सताती !
बहुत रोया तुम्हे दिल में सोच कर 
पर अब आसुओं ने भी साथ छोड़ दिया है
ठीक वैसे ही जैसे तुमने छोड़ दिया है!
बहुत सह लिया पर जी रहा हूँ 
तेरी यादों के आसुओं को पी रहा हूँ !
क्या तू बेवफा है या पत्थर दिल 
नहीं शायद मेरे प्यार में ही कमी है!



                    

Sunday, May 20, 2012

'सत्यमेव जयते'

फिल्म अभिनेता आमिर खान के टेलीविजन कार्यक्रम 'सत्यमेव जयते' को लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर इतने लोगों ने क्लिक किया कि यह अवरुद्ध हो गई।लोगों की शानदार प्रतिक्रिया को देखते हुए इसकी आधिकारिक साइट सत्यमेव जयते डॉट इन पर लिखा गया कि सत्यमेव जयते के प्रति आपकी शानदार प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। दुर्भाग्यवश अधिक ट्रैफिक के कारण हमारी साइट अवरुद्ध हो गई है। 'सत्यमेव जयते' का पहला एपीसोड रविवार को प्रसारित होने के बाद हीट्विटरपर छा गया। शो समाप्त होने से पहले ही ट्विटर पर इसकी प्रशंसा में ट्विट किए जाने लगे। इसका प्रसारण रविवार को पूर्वाह्न टेलीविजन चैनल 'स्टार प्लस' और 'दूरदर्शन' पर किया गया।यह कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित बेहद रचनात्मक, साक्ष्य, भावनात्मक रूप से लोगों को जोड़ने वाला और प्रेरित करने वाला है।
कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दे को संजीदगी से उठाते आमिर खान के टीवी शोसत्यमेव जयतेने तो मानो पूरे देश में नई बहस छेड़ दी। समाज के हर तबके के लोगों ने इस शो की सराहना की। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दे पर आमिर खान से मिलने से भी नहीं चूके। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य केबेटी बचाओअभियान में शामिल होने का न्योता तक आमिर को दे डाला है। कोई इस शो को एक मिसाल कह रहा है, तो कोई इसे बरसों से पसरे सामाजिक विषमताओं के अंधेरे को हटाने में सक्षम एक मशाल भी कह रहा है। इसके बावजूद यह शो विवादों से घिरा है।मसलन क्या आमिर केसत्यमेव जयतेका टाइटल संगीत चोरी का है? राखी सावंत: मेरे शो की नकल है आमिर कासत्यमेव जयते केआरके: लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं आमिर खान! बावजूद  
इसके आमिर ख़ान एक अच्छा इंसान होने के साथ-साथ एक सच्चे देश भक्त भी हैं आमिर ख़ान सत्यमेव जयते के ज़रिए जो देश मे फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाने का कम कर रहे हैं वो बहुत ही सराहनीय है देश के सभी सेलेब्रीटीस को इस नेक कम मे कोई टिप्पणी 
करने से अच्छा उनका साथ देना चाहिए कि वे समाज की कुरीतियाँ दूर करने में अपना योगदान देते रहेँ |