Saturday, December 26, 2015
उलझे रहे...
उम्र-भर मित्रताओं में उलझे रहे,
उम्र-भर शत्रुताओं में उलझे रहे।
किसने समझी है अपनी सही भूमिका,
सब गलत भूमिकाओं में उलझे रहे।
उम्र-भर शत्रुताओं में उलझे रहे।
किसने समझी है अपनी सही भूमिका,
सब गलत भूमिकाओं में उलझे रहे।
मेरा बेटा
मेरे कंधे पर बैठा मेरा बेटा जब मेरे कंधे पे खड़ा हो गया
मुझी से कहने लगा "देखो पापा में तुमसे बड़ा हो गया"
मैंने कहा "बेटा इस खूबसूरत ग़लतफहमी में भले ही जकडे रहना
मगर मेरा हाथ पकडे रखना"
मुझी से कहने लगा "देखो पापा में तुमसे बड़ा हो गया"
मैंने कहा "बेटा इस खूबसूरत ग़लतफहमी में भले ही जकडे रहना
मगर मेरा हाथ पकडे रखना"
"जिस दिन येह हाथ छूट जाएगा
बेटा तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा"
"दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नही है
देख तेरे पांव तले अभी जमीं नही है"
"में तो बाप हूँ बेटा बहुत खुश हो जाऊंगा
जिस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा
मगर बेटे कंधे पे नही ...
जब तू जमीन पे खड़ा हो जाएगा!!
ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा !
तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा !!
बेटा तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा"
"दुनिया वास्तव में उतनी हसीन नही है
देख तेरे पांव तले अभी जमीं नही है"
"में तो बाप हूँ बेटा बहुत खुश हो जाऊंगा
जिस दिन तू वास्तव में मुझसे बड़ा हो जाएगा
मगर बेटे कंधे पे नही ...
जब तू जमीन पे खड़ा हो जाएगा!!
ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा !
तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा !!
"मैं पैसा हूँ"
सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय दे दूँ - "मैं हूँ पैसा"
मेरा साधारण रूप है, दुर्बल सी काया है, लेकिन मैं दुनियाँ को पुनर्व्यवस्थित करने की क्षमता रखता हूँ।
मैं इन्सान का व्यवहार और प्रकृति बदलने की क्षमता रखता हूँ। क्योंकि इन्सान मुझे आदर्श मानता हैं। कई लोग अपने व्यवहार को बदल देते है, अपने दोस्तों को धोखा देते है, अपना शरीर बेच देते है, यहाँ तक कि अपना धर्म छोड़ देते है, सिर्फ मेरे लिए।
मैं नेक भ्रष्ट में फर्क नहीं करता, लोग मुझे प्रतिष्ठा के मानक के तौर पर इस्तेमाल करते है कि आदमी अमीर है या गरीब, इज्जतदार है या नहीं।
मैं शैतान नहीं हूँ, लेकिन लोग अक्सर मेरी वजह से गुनाह करते हैं।
मैं तीसरा व्यक्ति नहीं हूँ, लेकिन मेरी वजह से पति पत्नी आपस में झगड़ते है।
ये सही है कि मैं भगवान नहीं हूँ लेकिन लोग मुझे भगवान की तरह पूजते है। यहाँ तक कि भगवान को पूजने वाले भी मेरी भक्ति करते है, भले ही वो आपको इससे दूर रहने की सलाह देते हैं।
वैसे तो मुझे लोगों की सेवा करनी चाहिये लेकिन लोग मेरे गुलाम बनना चाहते हैं।
मैंने कभी किसी के लिए बलिदान नहीं दिया, लेकिन कई लोग मेरे लिए अपनी जान दे रहे हैं।
मै याद दिलाना चाहता हूँ कि मैं आपके लिए सब कुछ खरीद सकता हूँ, आपके लिए दवाईयाँ ला सकता हूँ, लेकिन आपकी उम्र नहीं बढा सकता।
एक दिन जब भगवान का बुलावा आयेगा तो मैं आपके साथ नहीं जाऊँगा बल्कि आपको अपने पाप भुगतने के लिए अकेला छोड़ दूँगा और यह स्थिति कभी भी आ सकती है। आपको अपने बनाने वाले को खुद ही जवाब देना पड़ेगा और उसका निर्णय स्वीकारना होगा।
उस समय सर्व शक्तिमान आपका फैसला करेगा और मेरे बारे में पूछेगा, लेकिन मैं आपसे अभी पूछता हूँ- "क्या आपने जीवन भर मेरा सही इस्तेमाल किया या आपने मुझे ही भगवान बना दिया ?"
एक अंतिम जानकारी मेरी तरफ से....
मैं "ऊपर" आपके साथ नहीं जाऊँगा बल्कि आपकी सत्कर्मों की पूंजी ही आपके साथ चलेगी.
मुझे वहाँ मत ढूँढ़ना।
"मैं पैसा हूँ"
मेरा साधारण रूप है, दुर्बल सी काया है, लेकिन मैं दुनियाँ को पुनर्व्यवस्थित करने की क्षमता रखता हूँ।
मैं इन्सान का व्यवहार और प्रकृति बदलने की क्षमता रखता हूँ। क्योंकि इन्सान मुझे आदर्श मानता हैं। कई लोग अपने व्यवहार को बदल देते है, अपने दोस्तों को धोखा देते है, अपना शरीर बेच देते है, यहाँ तक कि अपना धर्म छोड़ देते है, सिर्फ मेरे लिए।
मैं नेक भ्रष्ट में फर्क नहीं करता, लोग मुझे प्रतिष्ठा के मानक के तौर पर इस्तेमाल करते है कि आदमी अमीर है या गरीब, इज्जतदार है या नहीं।
मैं शैतान नहीं हूँ, लेकिन लोग अक्सर मेरी वजह से गुनाह करते हैं।
मैं तीसरा व्यक्ति नहीं हूँ, लेकिन मेरी वजह से पति पत्नी आपस में झगड़ते है।
ये सही है कि मैं भगवान नहीं हूँ लेकिन लोग मुझे भगवान की तरह पूजते है। यहाँ तक कि भगवान को पूजने वाले भी मेरी भक्ति करते है, भले ही वो आपको इससे दूर रहने की सलाह देते हैं।
वैसे तो मुझे लोगों की सेवा करनी चाहिये लेकिन लोग मेरे गुलाम बनना चाहते हैं।
मैंने कभी किसी के लिए बलिदान नहीं दिया, लेकिन कई लोग मेरे लिए अपनी जान दे रहे हैं।
मै याद दिलाना चाहता हूँ कि मैं आपके लिए सब कुछ खरीद सकता हूँ, आपके लिए दवाईयाँ ला सकता हूँ, लेकिन आपकी उम्र नहीं बढा सकता।
एक दिन जब भगवान का बुलावा आयेगा तो मैं आपके साथ नहीं जाऊँगा बल्कि आपको अपने पाप भुगतने के लिए अकेला छोड़ दूँगा और यह स्थिति कभी भी आ सकती है। आपको अपने बनाने वाले को खुद ही जवाब देना पड़ेगा और उसका निर्णय स्वीकारना होगा।
उस समय सर्व शक्तिमान आपका फैसला करेगा और मेरे बारे में पूछेगा, लेकिन मैं आपसे अभी पूछता हूँ- "क्या आपने जीवन भर मेरा सही इस्तेमाल किया या आपने मुझे ही भगवान बना दिया ?"
एक अंतिम जानकारी मेरी तरफ से....
मैं "ऊपर" आपके साथ नहीं जाऊँगा बल्कि आपकी सत्कर्मों की पूंजी ही आपके साथ चलेगी.
मुझे वहाँ मत ढूँढ़ना।
"मैं पैसा हूँ"
Sunday, November 29, 2015
संदेह...
संदेह से देखना तेरी आदत है,
पर मेरी यारी भी देख..
खामियां मुझ में लाख सही,
पर मेरी वफादारी भी देख..
यूँ न कर मुझे अलग खुद से,
मेरी लाचारी भी देख ले
झुकी तेरे कदमों में ,
तेरे आगे सब हारी भी देख..
पर मेरी यारी भी देख..
खामियां मुझ में लाख सही,
पर मेरी वफादारी भी देख..
यूँ न कर मुझे अलग खुद से,
मेरी लाचारी भी देख ले
झुकी तेरे कदमों में ,
तेरे आगे सब हारी भी देख..
मित्रता का अंत...
आजकल मित्रता करना एकदम आसान हो गया
है,घर बाहर ऑफिस हो या स्कूल एक दूसरे का मित्र बाने की होड सी मच गयी
है|पर ये मित्रता आज की स्वार्थी दुनिया में कुछ ही पग दम तोड़ देती है| दो
महिलाओं या दो पुरुषो के बीच कितनी ही प्रगाढ़ मित्रता क्यों न हो यह
मित्रता स्थायी नहीं रह सकती|
समय व परिस्थितियों के कारण मित्रता की स्थिति बनती और बिगड़ती रहती है| जीवन में समय समय पर होने वाले परिवर्तनों जैसे निवास,विवाह,तलाक,नौकरी-प्रमोसन जैसी समस्याओं के कारण व्यक्ति इतना व्यस्त हो जाता है कि चाहते हुये भी इस मित्रता को निभा नहीं पाता और 50% दोस्ती ऐसे ही समाप्त हो जाती है|
प्यार मुहब्बत और मित्रता में आपस में दो दिलो कि भावनाओं का आदान प्रदान होता है और जब किसी एक तरफ से आदान प्रदान में कमी होती है तो मित्रता कि कसौटी में फर्क आने लगता है और लगभग 20% मित्रताओं का अंत हो जाता है |
दो मित्रों के रिश्तों के बीच में एक दूसरे के प्रति ईमानदारी और वफादारी की पारदर्शिता होनी चाहिए क्योंकि ये भावनात्मक रिश्ते विश्वास की कसौटी पर कसे जाते है और इसमें अविश्वास का कीड़ा लग गया तो 20% मित्रताओं का अंत अविश्वास की भेंट चढ़ जाता है और तो और आज एक दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में दोस्ती मे ईर्ष्या भी एक दूसरे मित्र के बीच अविश्वास की खाई को बढ़ाती जा रही है|
मित्रता में मधुर संबंध सदैव बने रहे इसके लिए क्या किया जाय? हमें मित्रता के इस भावात्मक रिश्ते में दिन प्रतिदिन होते अंत की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए? मैंने अपने एक मित्र से सुना है कि ‘किसी से रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जितना मिट्टी से मिट्टी पर मिट्टी लिखना पर इसे निभाना उतना ही कठिन है जितना पानी से पानी पर पानी लिखना’शायद ये लाईने मित्रता के संदर्भ में सटीक बैठती है |
समय व परिस्थितियों के कारण मित्रता की स्थिति बनती और बिगड़ती रहती है| जीवन में समय समय पर होने वाले परिवर्तनों जैसे निवास,विवाह,तलाक,नौकरी-प्रमोसन जैसी समस्याओं के कारण व्यक्ति इतना व्यस्त हो जाता है कि चाहते हुये भी इस मित्रता को निभा नहीं पाता और 50% दोस्ती ऐसे ही समाप्त हो जाती है|
प्यार मुहब्बत और मित्रता में आपस में दो दिलो कि भावनाओं का आदान प्रदान होता है और जब किसी एक तरफ से आदान प्रदान में कमी होती है तो मित्रता कि कसौटी में फर्क आने लगता है और लगभग 20% मित्रताओं का अंत हो जाता है |
दो मित्रों के रिश्तों के बीच में एक दूसरे के प्रति ईमानदारी और वफादारी की पारदर्शिता होनी चाहिए क्योंकि ये भावनात्मक रिश्ते विश्वास की कसौटी पर कसे जाते है और इसमें अविश्वास का कीड़ा लग गया तो 20% मित्रताओं का अंत अविश्वास की भेंट चढ़ जाता है और तो और आज एक दूसरे से आगे निकलने के चक्कर में दोस्ती मे ईर्ष्या भी एक दूसरे मित्र के बीच अविश्वास की खाई को बढ़ाती जा रही है|
मित्रता में मधुर संबंध सदैव बने रहे इसके लिए क्या किया जाय? हमें मित्रता के इस भावात्मक रिश्ते में दिन प्रतिदिन होते अंत की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए? मैंने अपने एक मित्र से सुना है कि ‘किसी से रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जितना मिट्टी से मिट्टी पर मिट्टी लिखना पर इसे निभाना उतना ही कठिन है जितना पानी से पानी पर पानी लिखना’शायद ये लाईने मित्रता के संदर्भ में सटीक बैठती है |
Sunday, October 4, 2015
सोचो कितना बवाल होता...
समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता,
हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!
हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!
किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस ख़ुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!
थी ख़ामोशी हमारी फितरत में तभी तो बरसो निभ गयी लोगो से,
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!
हम तो अच्छे थे पर लोगो की नज़र में सदा बुरे ही रहे,
कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता..
कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता..
Saturday, September 5, 2015
आधुनिक सच
मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं
तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं
सुबह आठ बजे नौकरियों परजाते हैं
रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं
अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं
अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं
मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं
अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं
फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं
उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं
परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है
केवल आया'आंटी' को ही पहचानता है
दादा-दादी, नाना-नानी कौन होते है?
अनजान है सबसे किसी को न मानता है
आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है
टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है
यूनिफार्म पहनाके स्कूल कैब में बिठाती है
छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है
नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है
जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है
उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है
कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है
जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है
देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है
वीक एन्ड पर मॉल में पिकनिक मनाता है
संडे की छुट्टी मौम-डैड के संग बिताता है
वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है
वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है
कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है
आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है
वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है
मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है
धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है
मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है
कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है
जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है
माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है
बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है
बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं
जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं
हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं
दाढ़-दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं
कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं
वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं :
सोचना की बच्चे अपने लिए
पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।
बेटा एडिलेड में, बेटी है न्यूयार्क।
ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क।
बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।
चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार।
ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।
दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार।
बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर।
हरिद्वार के घाट की, सिडनी में तकदीर।
Sunday, May 10, 2015
जीवन का कड़वा सत्य
अगर भूल से भी कभी
आपको गर्व हो जाये
कि मेरे बिना यहाँ काम
चल ही नहीं सकता,
तब आप अपने घर की
दीवारों पर टंगी अपने
पूर्वजों की तस्वीरों की
तरफ देख लेना तथा
सोचना की क्या उनके
जाने से कोई काम रुका है,
जवाब आपको स्वतः
ही मिल जायेगा
चौरासी लाख योनियों में,
एक इंसान ही पैसा कमाता है,
अन्य कोई जीव
कभी भूखा नहीं मरा,
और एक इंसान जिसका
कभी पेट नहीं भरा।
आपको गर्व हो जाये
कि मेरे बिना यहाँ काम
चल ही नहीं सकता,
तब आप अपने घर की
दीवारों पर टंगी अपने
पूर्वजों की तस्वीरों की
तरफ देख लेना तथा
सोचना की क्या उनके
जाने से कोई काम रुका है,
जवाब आपको स्वतः
ही मिल जायेगा
चौरासी लाख योनियों में,
एक इंसान ही पैसा कमाता है,
अन्य कोई जीव
कभी भूखा नहीं मरा,
और एक इंसान जिसका
कभी पेट नहीं भरा।
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