Friday, July 15, 2011

Dil ek sa hokhe ke chhi...

    दिल एक सा होखे के चाही !

दोस्तो! आज के बुराईयाँ के नज़रअंदाज़ ना काइल जा सकेला,कहे से की आज हरेक क्षेत्रं मे गिरावट गाईल बा ! आज चारो तरफ झूठ बेईमानी फरेब हत्या  बलात्कार भ्रास्तचार जातिवाद साम्राज्यवाद क्षेत्रवाद जाइसन असामाजिक बुराइयाँ बोलबाला बा, सबसे चिंता के बात बॅया की हमनियो के मानवीया संवेदना सुखट जा रहाल बा| हूमणिए मे से कुच्छ लोग सब आँख से देख के भी चुप रह जात हयिन !
एकरे मूल मे एहे बा की हम सब अपने आप  तक ही सीमित रह जात बनी जा|,जहा तक हमरा के बुझला की एकर मुकाबला काइल जा सकेला, जब हम सब उँछ नीच बर छ्होट जाती पाती क्षेत्रवाद अपन पराया जाइसन छ्होट छ्होट बात के भुला के सबका के एक समझीन जा लेकिन तबे संभव बा जब हम सेबिन के विचार भी एक होखे| ता एकरा बड़े जरूरी बा की हमणि के दिल भी एक जाइसन होखे|!!!

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