कतारें थककर भी खामोश हैं, नजारे बोल रहे हैं !
नदी बहकर भी चुप है मगर किनारे बोल रहे हैं !!
ये कैसा जलजला आया है दुनियाँ में इन दिनों !
झोपडी मेरी खडी है और महल उनके डोल रहे हैं !!
नदी बहकर भी चुप है मगर किनारे बोल रहे हैं !!
ये कैसा जलजला आया है दुनियाँ में इन दिनों !
झोपडी मेरी खडी है और महल उनके डोल रहे हैं !!
