बेवजह आरोप है,
मुझ पर झूठ बोलने का,
तुमने कब सुनना चाहा था सच,
हर बार झूठ तुम्हे अच्छा लगा,
और हर सच बुरा,
तुम्हे जो पसंद था,
वही तो किया हमने,
ये लो अब आज मैं
ये भी मान ही लेता हूँ,
तुम्हें जो पसंद है,
मैं हूँ...
झूठा,
बेवफा,
बेकदर,
बेरहम....
आदि..आदि,
पर ये सब भी
बेवजह ही तो है...