Saturday, July 7, 2012

हमारा व्यक्तित्व

नेंक मनोंवैज्ञानिको ने कहा है की व्यक्तित्व मन और शरीर का संगठनात्मक योग है अर्थात हमारा सुन्दर तन ही केवल मायने नहीं रखता इसके साथ साथ सुन्दर मन का भी होना जरूरी है क्योकि हमारा चेहरा हमारे मन का प्रतिबिम्ब है।हमारे बाहरी भावों की अभिव्यक्ति का उद्गम स्थल हमारा मन ही होता है,हमारे विचार पहले हमारे मन में ही उठते है जिसके ऊपर हमारा व्यवहार निर्भर करता करता है।इस बात का ध्यान रखना जरूरी है की इनमें सदैव संतुलन बना रहे ।क्योकि आज ज्यादातर लोग वाह्य व्यक्तित्व के सुधार में लगे रहते है जबकि व्यक्तित्व का होना ज्यादा आवश्यक है तभी हमारा सम्पूर्ण व्यक्तित्व सुधर सकता है।